1. उद्गम और स्रोत

  • ब्यास नदी रोहतांग दर्रे से निकलती है, जो 13,050 फीट (3,978 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित है।
  • विशेष रूप से, यह रोहतांग दर्रे के पास एक गुफा से निकलती है।
  • नदी का स्रोत ब्यास कुंड के करीब है।
  • ब्यास की उत्तरी और पूर्वी सहायक नदियाँ आम तौर पर बारहमासी और हिम-पोषित होती हैं, जबकि दक्षिणी सहायक नदियाँ मौसमी होती हैं।

2. प्राचीन नाम

  • वैदिक नाम: अर्जिकी या अर्जिकिवा।
  • संस्कृत नाम: विपाशा।

3. प्रवाह और धारा

  • ब्यास अपने स्रोत से एक स्पष्ट, आसानी से बहने वाली पर्वतीय नदी के रूप में बहती है, लेकिन मानसून के मौसम में यह एक शक्तिशाली धारा बन सकती है।
  • यह कुल्लू घाटी और कांगड़ा घाटी से होकर बहती है।
  • नदी महत्वपूर्ण कस्बों और बस्तियों से होकर गुजरती है।

4. सहायक नदियाँ

ब्यास नदी में सहायक नदियों का एक नेटवर्क है।

मुख्य सहायक नदियाँ:

  • पार्वती नदी
  • स्पिन नदी
  • मलाना नाला
  • सोलांग नाला
  • मनालसू नदी
  • सुजैन धारा
  • फोजल धारा
  • सरवरी धारा
  • आवा नदी
  • बानेर नदी (बानेर खड)
  • बानगंगा नदी
  • चक्की नदी
  • गज खड
  • हरला नदी
  • लूणी नदी
  • मानूनी नदी
  • पाटलिकुल नदी
  • सैंज नदी
  • सुकेती नदी
  • तीर्थन नदी
  • उल नदी

(स्थान के अनुसार सहायक नदियाँ:

  • पूर्व में: पार्वती, स्पिन, और मलाना नाला।
  • पश्चिम में: सोलांग, मनालसू, सुजैन, फोजल, और सरवरी धाराएँ।
  • कांगड़ा में: बिनवा, नेओगल, बानगंगा, गज, देहर, और चक्की (उत्तर से); कुनाह, मसेह, खैरण, और ‘मान’ (दक्षिण से)।
  • मंडी में: हंसा, तीर्थन, बक्ली, जिउनी, सुकेती, पंद्दी, सोन, और बथेर।
  • उत्तरी और पूर्वी सहायक नदियाँ आम तौर पर बारहमासी और हिम-पोषित होती हैं, जबकि दक्षिणी सहायक नदियाँ मौसमी होती हैं।)

ब्यास नदी की सहायक नदियाँ: विस्तृत विवरण

ब्यास नदी में बड़ी संख्या में सहायक नदियाँ हैं जो इसके प्रवाह में योगदान करती हैं। इन सहायक नदियों को उस सामान्य क्षेत्र या तरफ से वर्गीकृत किया जा सकता है जिससे वे मुख्य नदी में मिलती हैं।

1. पूर्वी सहायक नदियाँ ये सहायक नदियाँ आम तौर पर ब्यास नदी के पूर्व में स्थित उच्च पर्वतमालाओं से निकलती हैं।

  • पार्वती नदी:
    • पार्वती नदी कुल्लू जिले में मणिकरण के ऊपर बर्फीले क्षेत्रों से निकलती है।
    • इसे मुख्य हिमालय श्रृंखला से उतरने वाले ग्लेशियरों से पानी मिलता है।
    • पार्वती नदी कुल्लू घाटी में शामशी में ब्यास से मिलती है।
    • यह नदी मणिकरण में गर्म झरनों के लिए उल्लेखनीय है, जो इसमें पानी छोड़ते हैं।
  • स्पिन नदी: स्पिन नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
  • मलाणा नाला: मलाणा नाला के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।

2. पश्चिमी सहायक नदियाँ ये सहायक नदियाँ आमतौर पर ब्यास नदी के पश्चिम में स्थित ढलानों और पर्वतमालाओं से निकलती हैं।

  • सोलांग नाला: सोलांग नाला के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
  • मनालसू नदी: मनालसू नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
  • सुजैन धारा: सुजैन धारा के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
  • फोजल धारा: फोजल धारा के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
  • सरवरी धारा: सरवरी धारा के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।

3. कांगड़ा क्षेत्र में सहायक नदियाँ ये सहायक नदियाँ ब्यास से मिलती हैं क्योंकि यह कांगड़ा घाटी से होकर बहती है।

  • उत्तर से:
    • बिनवा नदी: बिनवा नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • नेओगल नदी: नेओगल नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • बानगंगा नदी:
      • बानगंगा नदी धौलाधार रेंज के दक्षिणी ढलानों से निकलती है।
      • इसे हिमपिघल और झरनों से पानी मिलता है।
      • बानगंगा नदी अपने मुहाने के पास उपजाऊ तलछट जमा करती है।
    • गज खड:
      • गज खड धौलाधार रेंज पर छोटी धाराओं और हिमपिघल से निकलती है।
      • यह पोंग बांध झील के ऊपर ब्यास नदी में मिलती है।
    • देहर नदी: देहर नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • चक्की नदी:
      • चक्की नदी हिमाचल प्रदेश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में बहती है।
      • यह धौलाधार रेंज के दक्षिणी ढलानों से निकलती है।
      • चक्की नदी पठानकोट के पास पंजाब में बहती है और ब्यास से मिलती है।
      • इसने तलछट के छतों का निर्माण किया है।
  • दक्षिण से:
    • कुनाह नदी: कुनाह नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • मसेह नदी: मसेह नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • खैरण नदी: खैरण नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।
    • ‘मान’ नदी: ‘मान’ नदी के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराए गए पाठ में विस्तृत नहीं है।

4. मंडी क्षेत्र में सहायक नदियाँ ये सहायक नदियाँ ब्यास से मिलती हैं क्योंकि यह मंडी जिले से होकर बहती है।

  • हंसा
  • तीर्थन
  • बक्ली
  • जिउनी
  • सुकेती
  • पंद्दी
  • सोन
  • बथेर

5. संगम

ब्यास नदी अंततः पंजाब के फिरोजपुर जिले के हरी के पत्तन में सतलुज नदी में मिल जाती है।

6. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व

ब्यास नदी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों से होकर बहती है।

  • इसके किनारों पर महत्वपूर्ण बस्तियों में मनाली, कुल्लू, मंडी और सुजानपुर शामिल हैं।
  • यह नदी हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों के विभिन्न संतों और घटनाओं से जुड़ी है।

7. जलविद्युत क्षमता

ब्यास नदी क्षेत्र के लिए पानी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है और इसे जलविद्युत ऊर्जा के लिए उपयोग किया गया है।

परीक्षा-उन्मुख फोकस:

  • प्रीलिम्स: नदी का उद्गम, प्राचीन नाम, प्रमुख सहायक नदियाँ, इसके किनारों पर प्रमुख कस्बे/शहर, सतलुज के साथ संगम।
  • मेन्स: नदी का विस्तृत मार्ग और इसके द्वारा निर्मित भौगोलिक विशेषताएं। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भूमिका (कृषि, पर्यटन, जलविद्युत)। नदी का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व। नदी से संबंधित पर्यावरणीय मुद्दे (यदि कोई हों)।

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