• संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):
  • ग्रामोत्थान
  • कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है जो न केवल देश की खाद्य सुरक्षा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बल्कि रोजगार, राष्ट्रीय आय और औद्योगिक विकास में भी अहम योगदान प्रदान करती है। हिमाचल प्रदेश सरकार भी सुखी शाम खुशहाल किसान को ध्येय मानकर कृषि के बेहतर प्रबंधन के लिए कई महत्त्वपूर्ण योजनाएं चल रही है ताकि ग्रामीण युवाओं को घर पर ही स्वरोजगार के अवसर सुलभ हो। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश सरकार ने किसानों को दूध, गेहूं, मक्की और हल्दी जैसी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है और 1.58 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रमाणित किया गया है।
  • प्रदेश सरकार द्वारा इस वर्ष कृषि ऋण ब्याज अनुदान योजना आरंभ की जाएगी ताकि बैंकों के माध्यम से वन टाइम सेटलमेंट नीति लाकर उन किसानों को लाभ दिया जा सके जिनकी जमीन नीलामी की कगार पर आ गई है। इस योजना से वे अपने तीन लाख रुपये तक के कृषि ऋण को चुका सकेंगे। इस योजना के अंतर्गत मूलधन पर लगने वाले ब्याज का 50 प्रतिशत हिस्सा प्रदेश सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।
  • हिमाचल प्रदेश, देश में केवल दूध उत्पादन तक ही सीमित न रहे बल्कि डेयरी क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक अलग पहचान बनाएं इसके लिए हिमाचल प्रदेश ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए गाय के दूध के समर्थन मूल्य को 51 रुपये और भैंस के दूध के समर्थन मूल्य को 61 रुपये प्रति लीटर किया है। गाय और भैंस के दूध पर समर्थन मूल्य प्रदान करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है। इसके अतिरिक्त यदि कोई किसान या कोई सोसाइटी दो किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित नोटिफाईड कलैक्शन सेंटर पर दूध ले जाते हैं तो उन्हें दो रुपये प्रति लीटर की दर से ट्रांसपोर्ट सब्सिडी भी दी जाएगी। इस प्रकार बेचे गए दूध में किसानों को आठ रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त मिलेंगे। डेयरी क्षेत्र को संबल प्रदान करते हुए हिमगंगा योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। साथ ही इस क्षेत्र के विकास के लिए कांगड़ा, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन जिला के लिए लगभग 10 करोड़ 73 लाख 27 हजार खर्च किए जाएंगे। परियोजना के तहत मुख्य गतिविधियों में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट ढगवार कांगड़ा में नई केंद्रीय परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना और दूध खरीद इकाइयों का डिजिटलीकरण शामिल है ताकि ग्रामीण लोगों के जीवन में खुशहाली लाकर सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था से आत्मनिर्भर हिमाचल के सपने को साकार किया जा सके।
  • किसानों की आर्थिकी को बल मिलें इसके लिए प्रदेश सरकार ऊना जिला में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करेगी और शीघ्र ही आलू का समर्थन मूल्य भी घोषित करेगी ताकि किसानों की आर्थिकी को मजबूती मिल सके। प्रदेश सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को भी प्रोत्साहित कर रही है। प्राकृतिक खेती से उत्पादित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी निर्धारित किया गया है। यह प्रक्रिया निरंतर जारी रहे इसके लिए सरकार आने वाले समय में प्राकृतिक खेती उत्पादों के समर्थन मूल्य में और बढ़ोतरी करेगी। प्रदेश में हिम ईरा व अन्य उत्पाद भी दूसरे प्रदेशों में बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। भारत में पैदा होने वाली हल्दी अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए जानी जाती है। इसलिए प्रदेश के पास प्राकृतिक हल्दी के उत्पादन का सुनहरा अवसर है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए आगामी वित्त वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य को 90 रुपये प्रति किलो करने की घोषणा की गई है। हमीरपुर जिला में स्पाइस पार्क का निर्माण किया जाएगा। इससे प्रदेश में उगाए जा रहे मसालों में वैल्यू एडिशन होगी और इन्हें बाजार में एक नई पहचान मिलेगी।
  • प्रदेश सरकार किसानों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है और हिमाचल प्रदेश फसल विविधिकरण संवर्द्धन परियोजना इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। सरकार द्वारा इस परियोजना पर 154 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। कृषि विभाग मृदा स्वास्थ्य का आकलन करने के उद्देश्य से किसानों को निःशुल्क मृदा परीक्षण प्रदान करता है। इंटरनेट सेवा के माध्यम से किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। राज्य में कृषि विभाग की 11 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं, तीन उर्वरक और बीज परीक्षण प्रयोगशालाएं, दो जैव नियंत्रण प्रयोगशालाएं, एक राज्य कीटनाशक परीक्षण प्रयोगशाला और एक जैव उर्वरक उत्पादन और गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला है। इसके अलावा किसानों की फसल को जंगली जानवरों से सुरक्षा हेतु मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत अब सोलर फेंसिंग, जालीदार और कटिदार बाड़बंदी में भी सहायता भी प्रदान की जाएगी।
  • संपादकीय का विवरण (Description):
  • यह संपादकीय, “ग्रामोत्थान”, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों एवं बागवानों की आय में वृद्धि के लिए लागू की जा रही विभिन्न योजनाओं और नीतियों पर केंद्रित है। इसका मूल उद्देश्य कृषि, बागवानी और डेयरी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता लाना तथा ग्रामीण युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा करना है।
  • संपादकीय के मुख्य बिंदु:
  • कृषि ऋण एवं वित्तीय सहायता:
    • कृषि ऋण ब्याज अनुदान योजना: इस वर्ष शुरू की जाएगी। इसके तहत, जिन किसानों की जमीन नीलामी की कगार पर है, उन्हें ₹3 लाख तक के कृषि ऋण के वन-टाइम-सेटलमेंट में मूलधन पर लगने वाले ब्याज का 50% सरकार वहन करेगी। 1
  • डेयरी क्षेत्र को बढ़ावा:
    • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): गाय के दूध का MSP ₹51/लीटर और भैंस के दूध का ₹61/लीटर किया गया है, जो देश में सर्वाधिक है। 2
    • ट्रांसपोर्ट सब्सिडी: नोटिफाइड कलेक्शन सेंटर पर दो किलोमीटर से अधिक दूरी से दूध लाने पर ₹2 प्रति लीटर की ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जाएगी। 3
    • हिमगंगा योजना: इस योजना के लिए ₹500 करोड़ का प्रावधान किया गया है। 4
    • ढांचागत विकास: ढगवार (कांगड़ा) में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट में नई केंद्रीय परीक्षण प्रयोगशाला और दूध खरीद इकाइयों का डिजिटलीकरण किया जाएगा। 5
  • फसल विविधीकरण और प्रसंस्करण:
    • आलू प्रसंस्करण संयंत्र: ऊना जिले में लगभग ₹20 करोड़ की लागत से एक आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा और आलू के लिए भी MSP घोषित होगा। 6
    • प्राकृतिक खेती: प्राकृतिक रूप से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए आगामी वित्त वर्ष में MSP ₹90 प्रति किलो किया जाएगा। 7
    • स्पाइस पार्क: हमीरपुर जिले में एक स्पाइस पार्क का निर्माण किया जाएगा ताकि मसालों में वैल्यू एडिशन हो सके। 8
    • हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण संवर्द्धन परियोजना: इस पर सरकार ₹154 करोड़ व्यय करेगी। 9
  • अन्य कृषि सहायक पहलें:
    • मृदा स्वास्थ्य: किसानों को निःशुल्क मृदा परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड की सुविधा दी जा रही है। प्रदेश में 11 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं। 10
    • मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना: अब इस योजना के तहत सोलर फेंसिंग के साथ-साथ जालीदार और कंटीली बाड़बंदी के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी। 11
  • प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
  • यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश की कृषि, बागवानी और डेयरी से संबंधित नवीनतम सरकारी योजनाओं और नीतियों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसमें उल्लिखित तथ्य जैसे विभिन्न फसलों (दूध, हल्दी, गेहूं, मक्का) के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, नई योजनाएं (कृषि ऋण ब्याज अनुदान योजना, हिमगंगा योजना), और ढांचागत परियोजनाएं (आलू प्रसंस्करण संयंत्र, स्पाइस पार्क, मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट) प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। यह लेख राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के सरकारी प्रयासों की एक व्यापक तस्वीर प्रस्तुत करता है।

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