रिराज साप्ताहिक (29 जनवरी – 04 फरवरी, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 29 जनवरी – 04 फरवरी, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “नशे पर नकेल”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश में नशे की गंभीर समस्या और इससे निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों और नीतियों पर प्रकाश डालता है।

संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):

नशे पर नकेल

किसी भी राष्ट्र का भविष्य और तरक्की उस राष्ट्र की युवा शक्ति पर टिकी होती है। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ युवा ही एक सशक्त, समृद्ध और सभ्य समाज का निर्माण कर सकता है लेकिन अगर उस देश की युवा पीढ़ी ही गलत राह पर चल पड़े तो उस राष्ट्र का पतन निश्चित ही है। नशा आज समूचे विश्व के साथ भारत में भी एक गंभीर समस्या बन गया है। आज के युवा अपने क्षणिक सुकून के लिए नशे की गर्त में डूबते जा रहे हैं। नशे की यह गंभीर समस्या हिमाचल जैसे सुंदर और शांत प्रदेश में भी अपना विकराल रूप ले रही है जिसके कारण यहां की युवा पीढ़ी नशे के इस भंवर में फंसकर मौत को गले लगा रही है। नशे के सेवन के कारण वे अपना जीवन तो बर्बाद कर ही रहे हैं साथ ही अपने परिवार का जीवन भी नारकीय बना रहे हैं।

नशा माफिया का फैलता जाल आज खासकर युवा पीढ़ी के साथ खिलवाड़ करने पर आमदा है। उन्हें नशे के इस मकड़जाल में फंसाने के लिए वह कई तरह के हथकंडे अपना रहा है जिसके कारण हमारा सामाजिक ताना-बाना तो बिगड़ ही रहा है, साथ ही हमारी वास्तविक धरोहर युवा पीढ़ी भी रसातल में डूब रही है। उनमें नशे की लत के कारण समाज में नैतिक मूल्य का हास हो रहा है जो कि आज चिंता और चिंतन का विषय है क्योंकि जब कोई व्यक्ति अपनी मेहनत की कमाई को नशे में डूबाता है तो उसे विषम आर्थिक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। अन्यथा इसी कमाई से वे अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने व बच्चों की परवरिश में लगा सकता है।

इस सामाजिक बुराई का समूल नाश करने और युवा पीढ़ी को बचाने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार कई अहम निर्णय ले रही है। प्रदेश में नशा माफिया और नशा तस्करों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान आरंभ किया गया है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशीली दवाओं के दुरूपयोग और संगठित अपराध के उन्मूलन के लिए एस.टी.एफ. गठित करने का निर्णय लिया है, जिसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे। इस एस.टी.एफ. को विशेष प्रशिक्षण और समर्पित कमांडों के साथ तैवाट किया जाएगा, जिसमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ प्रशिक्षण भी शामिल होगा। ये एस.टी.एफ. नशीली दवाओं के अवैध कारोबार से जुड़े सौदागरों, संगठित गिरोह और नशीली दवाओं की तस्करी के नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करके फोरेंसिक प्रोटोकॉल के माध्यम से खुफिया जानकारी एकत्र करके आरोपियों की धरपकड़ को लेकर छापेमारी करने के साथ नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़ी अवैध संपत्तियों को जब्त करेगा। यही नहीं इस टास्क फोर्स द्वारा यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि नशा करने वालों का पुनर्वास भी सुनिश्चित हो तथा इनके द्वारा पुनर्वास केंद्रों की स्थापना करने को भी प्राथमिकता दी जाएगी। उनके द्वारा इस क्षेत्र में किए गए कार्य की प्रगति रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी।

हिम वीर और हिम दोस्त जैसी पहल के माध्यम से स्कूलों और कॉलेजों इत्यादि के छात्र जागरूक किए जाएंगे। साथ ही सरकार तुरंत न्याय के लिए एन.डी.पी.एस. मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने, फास्ट ट्रैक जांच और अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करने की भी योजना बना रही है। नशे के दुष्परिणामों के प्रति ये एस.टी.एफ. स्वतंत्र रूप से पुलिस थानों के माध्यम से या स्थानीय पुलिस और रेंज, जिला या उप-खंड स्तर पर विशेष इकाइयों के सहयोग से मामलों को पंजीकृत करके जांच करेगी तथा उसके दुरूपयोग को रोकने के लिए नशामुक्ति केंद्रों की गतिविधियों की निगरानी भी करेगा। राज्य सरकार का यह व्यापक दृष्टिकोण नशीली दवाओं के दुरूपयोग को समाप्त करने तथा एक सुरक्षित और स्वस्थ प्रदेश बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

नशे की इस बुराई को दूर करने के लिए हमें सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना से कार्य करना होगा। हमें सतर्क रहना होगा कि हमारे आसपास तो कहीं नशे के सौदागर तो नहीं है। हमारी सतर्कता ही हमारी भावी पीढ़ी को नशे के अंधकार से बचा सकती है। नशा माफिया को जेल भेजा जा सके और इस अपराध में संलिप्त लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाकर ही हम अपने दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं। हम सभी के संयुक्त प्रयास ही देश व प्रदेश के भविष्य को नशे के इस अंधकार से बचा सकते हैं।


संपादकीय का विवरण (Description):

यह संपादकीय “नशे पर नकेल” हिमाचल प्रदेश में नशे की बढ़ती समस्या, विशेषकर युवा पीढ़ी पर इसके विनाशकारी प्रभाव और इस सामाजिक बुराई से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कड़े कदमों पर केंद्रित है।

मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:

  1. नशे की समस्या की भयावहता:
    • लेख नशे को एक वैश्विक और राष्ट्रीय समस्या बताते हुए हिमाचल जैसे शांत प्रदेश में भी इसके विकराल रूप लेने पर चिंता व्यक्त करता है।
    • युवाओं का नशे की गर्त में डूबना, उनके जीवन की बर्बादी और परिवारों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को रेखांकित किया गया है।
    • नशा माफिया द्वारा युवा पीढ़ी को निशाना बनाने और सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने का उल्लेख है।
  2. सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
    • एस.टी.एफ. (विशेष कार्य बल) का गठन: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और संगठित अपराध के उन्मूलन के लिए एक विशेष कार्य बल (STF) गठित करने का निर्णय लिया है। इसका नेतृत्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक या पुलिस महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी करेंगे।
    • एस.टी.एफ. के कार्य: यह बल विशेष प्रशिक्षण प्राप्त कमांडो से युक्त होगा, जो नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ भी प्रशिक्षित होंगे। एस.टी.एफ. नशा तस्करों, संगठित गिरोहों और तस्करी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करेगा, खुफिया जानकारी जुटाएगा, छापेमारी करेगा और नशीली दवाओं के व्यापार से जुड़ी अवैध संपत्तियों को जब्त करेगा।
    • पुनर्वास पर जोर: टास्क फोर्स नशा करने वालों के पुनर्वास को भी सुनिश्चित करेगी और पुनर्वास केंद्रों की स्थापना को प्राथमिकता देगी।
    • जागरूकता अभियान: ‘हिम वीर’ और ‘हिम दोस्त’ जैसी पहलों के माध्यम से स्कूल और कॉलेज के छात्रों को जागरूक किया जाएगा।
    • न्यायिक प्रक्रिया में तेजी: सरकार एन.डी.पी.एस. मामलों के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने तथा फास्ट ट्रैक जांच और अभियोजन पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बना रही है।
    • निगरानी: एस.टी.एफ. नशामुक्ति केंद्रों की गतिविधियों की भी निगरानी करेगा।
  3. सामाजिक उत्तरदायित्व का आह्वान:
    • संपादकीय में नशे की बुराई को दूर करने के लिए सामूहिक उत्तरदायित्व और नागरिक सतर्कता पर बल दिया गया है।
    • आम लोगों से अपने आस-पास नशे के सौदागरों के प्रति सजग रहने और उनकी सूचना देने की अपील की गई है ताकि नशा माफिया पर अंकुश लगाया जा सके।

प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:

यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश में एक गंभीर सामाजिक समस्या (नशाखोरी), इसके विभिन्न पहलुओं और राज्य सरकार द्वारा इससे निपटने के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों पर प्रकाश डालता है। विशेष कार्य बल (STF) का गठन, इसके उद्देश्य व कार्यप्रणाली, एन.डी.पी.एस. अधिनियम के तहत कार्रवाई, जागरूकता कार्यक्रम (हिम वीर, हिम दोस्त), और पुनर्वास के प्रयास प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य हैं। यह लेख सुशासन, सामाजिक न्याय और कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को समझने में सहायक है।

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