गिरिराज साप्ताहिक (12-18 फरवरी, 2025) का संपादकीय
प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 12-18 फरवरी, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “महिला सशक्तीकरण”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के उत्थान और सशक्तीकरण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं और नीतियों पर प्रकाश डालता है।
संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):
महिला सशक्तीकरण
भारतीय संस्कृति में बेटियों का सम्मान सदैव ही सर्वोपरि रहा है। भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि हमारे लिए महिलाएं न केवल घर की रोशनी है बल्कि इस रोशनी की लौ भी है। आज की महिलाएं जागृत हैं। किसी भी क्षेत्र में जब हम नजर दौड़ाते है तो उनका समाज निर्माण में व्यापक योगदान देखने को मिलता है। महिलाओं के विचारों और उनके जीवन मूल्य से ही सुखी परिवार, आदर्श समाज और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण होता है। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा भी महिलाओं को अपनी कल्याणकारी नीति द्वारा सशक्त किया जा रहा है। वे समाज के सभी क्षेत्रों में आगे बढ़े इसके लिए प्रदेश सरकार ने सत्ता में आते ही कई ठोस कदम उठाए। उनके आर्थिक स्वावलम्बन को सुनिश्चित करने तथा वे स्वाभिमान के साथ जीवनयापन कर सकें ताकि उन्हें अपने छोटे-छोटे खर्चों के लिए किसी पर भी निर्भर न रहना पड़े, इसके लिए सरकार द्वारा ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’ को अमली जामा पहनाया। इस योजना के तहत पात्र महिलाएं जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक है को 1500 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। बी.पी.एल. परिवारों की लड़कियों को विवाह के लिए दी जाने वाली 31 हजार रुपये की आर्थिक सहायता खुशियों का शगुन साबित हो रही है। प्रदेश भर में क्रियान्वित की जा रही इस योजना से बी.पी.एल. परिवार सीधे तौर पर लाभान्वित हो रहे हैं। उनकी बेटी को व्याहने की चिंता भी कम हुई है। यहीं नहीं लड़कियों को कुपोषण बचाया जाए। प्रदेश में अब उनके विवाह की न्यूनतम उम्र 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष की गई है। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य की दिशा में कार्य करते हुए राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग में कार्यरत महिला कुक-कम-हेल्पर को मातृत्व लाभ अधिनियम, 1962 के तहत 180 दिन का मातृत्व अवकाश प्रदान किया जा रहा है। शिक्षा विभाग में इससे पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था।
महिलाएं अपने परिवारों और समुदायों की रीढ़ हैं। वे अपने परिवारों की देखभाल, सहायता और उनका पोषण करती हैं। महिलाएं स्वावलम्बी बनें और ग्रामीण आर्थिकी के सुदृढ़ीकरण लिए प्रदेश सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह की ग्रामीण महिलाओं के लिए हिमाचल प्रदेश ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत हिम ईरा ब्रान्ड नामक विक्रय केंद्र आरंभ किए गए हैं। इसकी वेबसाइट से स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को वैश्विक मंच उपलब्ध हुआ है और उनके द्वारा तैयार किए गए उत्पाद अब ‘पेटीएम’ और मॉय स्टोर प्लेटफॉर्म पर स्वचालित रूप से सूचीबद्ध हो रहे हैं जिससे वे देशभर के लोगों के लिए सुलभ हो जाते है। यह पहल ग्रामीण हिमाचल के शिल्प कौशल की समृद्धि और विविधता को भारत के हर कोने में पहुंचा रही है। प्रदेश सरकार की यह पहल ग्रामीण महिलाओं को आजीविका के अवसर उपलब्ध करवाने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
महिला अपने परिवार की रीढ़ होती है। यदि गरीब परिवार की महिला की किसी दुर्घटना, बाढ़ या पानी, सांप-बिच्छू के काटने या सर्जिकल ऑपरेशन या प्रसव के दौरान उसकी मृत्यु हो जाती है तो परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट जाता है। परिवार को ऐसे में बहुत सी विपदाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थितियों से गुजर रहे बी.पी.एल. परिवार के लिए प्रदेश सरकार की मातृशक्ति बीमा योजना एक बहुत बड़ा सहारा साबित हुई है। इस योजना के तहत प्रभावित परिवार को दो लाख रुपये तक की आर्थिक मदद दी जाती है। शरीर के किसी अंग के खराब होने तथा अपंग होने पर भी इस योजना के तहत महिला या लड़की को एक लाख रुपये दिए जाते हैं। साथ ही यदि किसी महिला के पति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसी स्थिति में भी महिला को आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है। इस योजना का मूल उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों की महिलाओं को मुफ्त बीमा कवर प्रदान करना है और इस योजना का प्रीमियम प्रदेश सरकार ही वहन करती है। महिला सशक्त होकर अपना वास्तविक सामर्थ्य प्राप्त करें इसके लिए हिमाचल प्रदेश सरकार प्रयासरत है। महिलाओं के सम्मान व आर्थिक उत्थान के प्रति सरकार की सकारात्मक सोच का ही परिणाम है कि विधवा पुनर्विवाह के तहत दी जाने वाली सहायता राशि को 65 हजार से बढ़ाकर दो लाख रुपये किया गया है। महिला समानता की दिशा में एक कदम आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन कर पैतृक संपत्ति में बेटियों को भी बेटों के समान एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा प्रदान करने जैसे निर्णय सही मायनों में नारी सम्मान और सशक्तीकरण को इंगित करते हैं। महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता देते हुए वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा उनके भविष्य को सुरक्षित किया जा रहा है ताकि महिलाएं सुदृढ़ एवं सम्मानजनक जीवनयापन कर एक उन्नत, समृद्ध और मजबूत समाज की द्योतक बन सकें।
संपादकीय का विवरण (Description):
यह संपादकीय, “महिला सशक्तीकरण”, हिमाचल प्रदेश में महिलाओं की स्थिति, उनके सामाजिक महत्व और प्रदेश सरकार द्वारा उनके उत्थान व सशक्तीकरण के लिए क्रियान्वित की जा रही विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं एवं नीतियों पर प्रकाश डालता है।
मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:
- महिलाओं का महत्व: लेख की शुरुआत भारतीय संस्कृति में बेटियों के सम्मान और समाज निर्माण में महिलाओं के व्यापक योगदान को रेखांकित करते हुए होती है। महिलाओं को सुखी परिवार, आदर्श समाज और समृद्ध राष्ट्र की नींव बताया गया है।
- सरकारी योजनाएं एवं नीतियां: संपादकीय में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण हेतु उठाए गए ठोस कदमों का विस्तृत उल्लेख है, जिनमें प्रमुख हैं:
- ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना’: 18 वर्ष से अधिक आयु की पात्र महिलाओं को ₹1500 प्रतिमाह आर्थिक सहायता, ताकि वे स्वाभिमान से जीवनयापन कर सकें।
- विवाह हेतु आर्थिक सहायता: बी.पी.एल. परिवारों की बेटियों के विवाह के लिए ₹31,000 की आर्थिक मदद।
- विवाह की न्यूनतम आयु में वृद्धि: लड़कियों के विवाह की न्यूनतम आयु 18 से 21 वर्ष करना, जिसका उद्देश्य उन्हें कुपोषण से बचाना भी है।
- मातृत्व अवकाश: शिक्षा विभाग में कार्यरत महिला कुक-कम-हेल्पर के लिए 180 दिन का मातृत्व अवकाश।
- ‘हिम ईरा’ ब्रांड एवं विक्रय केंद्र: स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं द्वारा तैयार उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने हेतु ‘हिम ईरा’ ब्रांड के तहत विक्रय केंद्र और ई-कॉमर्स (पेटीएम, मॉय स्टोर) प्लेटफॉर्म की सुविधा।
- ‘मातृशक्ति बीमा योजना’: बी.पी.एल. परिवार की महिला की आकस्मिक मृत्यु (दुर्घटना, प्रसव आदि में) होने पर परिवार को ₹2 लाख तक की आर्थिक मदद। अंग खराब होने या अपंगता की स्थिति में महिला या लड़की को ₹1 लाख। पति की मृत्यु पर भी महिला को आर्थिक सहायता। योजना का प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाता है।
- विधवा पुनर्विवाह सहायता: सहायता राशि को ₹65 हजार से बढ़ाकर ₹2 लाख किया गया।
- भूमि अधिकारों में समानता: लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन कर पैतृक संपत्ति में बेटियों को बेटों के समान एक स्वतंत्र इकाई का दर्जा दिया गया।
- सशक्तीकरण का लक्ष्य: इन सभी योजनाओं और नीतिगत बदलावों का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना, उन्हें सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना और समाज में उनकी भूमिका को और मजबूत करना है ताकि वे सम्मानजनक जीवन जी सकें और एक उन्नत समाज के निर्माण में योगदान दे सकें।
प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करता है। इसमें उल्लिखित विभिन्न योजनाएं (जैसे इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना, मातृशक्ति बीमा योजना, हिम ईरा), उनके उद्देश्य, लाभार्थी वर्ग, वित्तीय सहायता राशि, और संबंधित कानूनी संशोधन (जैसे विवाह आयु, लैंड सीलिंग एक्ट) प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य हैं। यह लेख हिमाचल प्रदेश में सामाजिक कल्याण, महिला एवं बाल विकास, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था से संबंधित सरकारी पहलों को समझने में सहायक है।