गिरिराज साप्ताहिक (19-25 फरवरी, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 19-25 फरवरी, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों, नवीन पहलों और योजनाओं पर प्रकाश डालता है।

संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा न केवल ज्ञान, व्यक्तित्व व कौशल विकास के लिए आवश्यक है अपितु यह देश व प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ-साथ राष्ट्र निर्माण में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गुणवत्तापूर्ण स्कूली शिक्षा के महत्त्व को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में इस दिशा में अनेक सार्थक कदम उठाए गए हैं, जिनके आने वाले समय में निश्चित ही सुखद परिणाम आएंगे। राजकीय स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा सुनिश्चित बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा विद्यालयों के क्लस्टर बनाने की दूरदर्शी पहल की गई है। इन स्कूलों के विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा करने के लिए सरकार द्वारा पहली कक्षा से अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है। इससे इन विद्यालयों के विद्यार्थी भी निजी विद्यालयों के विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम होंगे। प्रदेश के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक राजीव गांधी आदर्श-डे-बोर्डिंग स्कूल भी खोले जा रहे हैं। इन विद्यालयों में सभी आधुनिक शैक्षणिक एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी ताकि विद्यार्थियों को उनके घरों के समीप ही बेहतर शिक्षा सुविधा उपलब्ध हो सकें।

शिक्षण कार्यों में आधुनिक तकनीक को प्रोत्साहित करने तथा शिक्षा व शिक्षा से संबंधित प्रशासनिक कार्यों के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लगभग 17,500 टैबलेट प्रदान किए जा रहे हैं। यह पहल निःसंदेह शिक्षण कार्यों के आधुनिकीकरण तथा डिजिटल शैक्षणिक संस्थानों तक शिक्षकों व विद्यार्थियों की पहुंच सुनिश्चित बनाने में कारगर सिद्ध होगी। श्रीनिवास रामानुजन डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत 10वीं व 12वीं तथा राजकीय महाविद्यालयों के मेधावी विद्यार्थियों को भी अभी तक 10,552 टेबलेट प्रदान किए गए हैं। इससे न केवल इन विद्यार्थियों को सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के इस दौर ने दक्षता उन्नयन का भी अवसर प्रदान किया है। इसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए राज्य सरकार ने गत वर्ष प्रदेश के सरकारी विद्यालयों के 200 अध्यापकों को एक्सपोजर विजिट पर सिंगापुर भेजा ताकि वे विश्व के विकसित देशों में आधुनिक व बेस्ट टीचिंग प्रेक्टिस को समझ व जान सकें और इन्हें प्रदेश में भी लागू किया जा सके। यही नहीं, राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों को देश के श्रेष्ठ शिक्षण संस्थानों से उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं जो एक सराहनीय पहल है।

एक अन्य अभिनव पहल करते हुए राज्य सरकार ने राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को विदेश भ्रमण पर भेजने का निर्णय लिया है जिसके अंतर्गत पचास मेधावी विद्यार्थियों के प्रथम दल को हाल ही में 11 दिवसीय शैक्षणिक अध्ययन के लिए कंबोडिया और सिंगापुर भेजा गया। इस भ्रमण के दौरान ये मेधावी विद्यार्थी इन दोनों देशों की ऐतिहासिक धरोहरों, संस्कृति, वास्तुकला, विज्ञान एवं तकनीकी विकास को समझेगें। इन बच्चों के लिए यह केवल भ्रमण मात्र नहीं है बल्कि दुनिया को एक नए नजरिए से देखने व जानने का एक सुअवसर भी है। यह यात्रा इन बच्चों का न केवल ज्ञानवर्धन करेगी अपितु उन्हें आत्मनिर्भर एवं वैश्विक दृष्टिकोण रखने वाला एक जिम्मेदार नागरिक बनाने में भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। विदेश भ्रमण पर निकले इन मेधावी छात्रों को मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने स्वयं खाना किया जो विद्यार्थियों के प्रति उनके दृष्टिकोण व लगाव को भी दर्शाता है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर इन विद्यार्थियों को टेबलेट व किट भी प्रदान किए। राज्य सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि अगले वर्ष सौ मेधावी बच्चों के साथ-साथ ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को भी विदेश भ्रमण पर भेजा जाएगा। गत वर्ष दिसम्बर माह में ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ के रूप में अपनाए गए बच्चों को भ्रमण के लिए गोवा भेजा गया था। इसके साथ ही इन बच्चों को 27 वर्ष तक की आयु तक उनकी पढ़ाई व देखभाल का दायित्व भी राज्य सरकार का ही रहेगा। सुदूर गांव के बच्चों को विदेश भ्रमण का सपना साकार करना मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की संवेदनशील व दूरदर्शी सोच से ही संभव हो पाया है। शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार लाने के प्रदेश सरकार के यह निर्णय भविष्य में प्रदेश में स्कूली शिक्षा को एक नई दिशा देने में कारगर सिद्ध होंगे।


संपादकीय का विवरण (Description):

यह संपादकीय “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में लाए जा रहे सुधारों और नवीन पहलों पर केंद्रित है। इसका मूल उद्देश्य राजकीय विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाकर उन्हें निजी विद्यालयों के समकक्ष लाना और विद्यार्थियों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना है।

मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:

  1. शिक्षा का महत्व: संपादकीय की शुरुआत गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को ज्ञान, व्यक्तित्व, कौशल विकास के साथ-साथ सामाजिक-आर्थिक विकास और राष्ट्र निर्माण के लिए आवश्यक बताकर की गई है।
  2. सरकारी पहल और योजनाएं:
    • स्कूल क्लस्टर: राजकीय स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए विद्यालयों के क्लस्टर बनाए जा रहे हैं।
    • अंग्रेजी माध्यम: पहली कक्षा से अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया है ताकि सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी निजी स्कूलों के विद्यार्थियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें।
    • राजीव गांधी आदर्श-डे-बोर्डिंग स्कूल: प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं से युक्त ये स्कूल खोले जा रहे हैं।
    • शिक्षकों हेतु टैबलेट: शिक्षण कार्यों के आधुनिकीकरण और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के लिए लगभग 17,500 टैबलेट शिक्षकों को दिए जा रहे हैं।
    • श्रीनिवास रामानुजन डिजिटल विद्यार्थी योजना: 10वीं, 12वीं और राजकीय महाविद्यालयों के 10,552 मेधावी विद्यार्थियों को टैबलेट प्रदान किए गए।
    • शिक्षकों का एक्सपोजर विजिट: 200 सरकारी स्कूल अध्यापकों को सिंगापुर भेजा गया ताकि वे विकसित देशों की शिक्षण पद्धतियों को समझ सकें। शिक्षकों को देश के श्रेष्ठ संस्थानों से भी प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है।
    • विद्यार्थियों का विदेश भ्रमण: 50 मेधावी विद्यार्थियों के पहले दल को कंबोडिया और सिंगापुर शैक्षणिक अध्ययन के लिए भेजा गया। अगले वर्ष 100 मेधावी बच्चों और ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को भी विदेश भेजने की योजना है।
    • ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ का कल्याण: इन बच्चों की 27 वर्ष की आयु तक पढ़ाई व देखभाल का दायित्व राज्य सरकार ने लिया है।
  3. सुधारों का उद्देश्य और प्रभाव:
    • इन सभी कदमों का उद्देश्य विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा करना, उन्हें शिक्षा के समान अवसर प्रदान करना, और आत्मनिर्भर एवं वैश्विक दृष्टिकोण वाला नागरिक बनाना है।
    • मुख्यमंत्री की संवेदनशील और दूरदर्शी सोच को इन पहलों की सफलता का श्रेय दिया गया है।

प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:

यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश सरकार की शिक्षा संबंधी नीतियों, योजनाओं (जैसे राजीव गांधी आदर्श-डे-बोर्डिंग स्कूल, श्रीनिवास रामानुजन डिजिटल विद्यार्थी योजना) और नवाचारों (जैसे शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए विदेश भ्रमण, स्कूल क्लस्टर) पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। ये सभी तथ्य प्रतियोगी परीक्षाओं, विशेषकर हिमाचल प्रदेश से संबंधित सामान्य ज्ञान, शिक्षा सुधार, और सरकारी योजनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ जैसी सामाजिक कल्याणकारी पहल भी परीक्षा की दृष्टि से उल्लेखनीय है।

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