1. सामान्य विशेषताएँ
- संस्कृत नाम: संस्कृत साहित्य में यमुना को सामान्यतः यमुना ही कहा जाता है।
- वैदिक नाम: यमुना को इसके वैदिक नाम कालिंदी से भी जाना जाता है।
- यमुना गंगा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- इसका हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक और पौराणिक महत्व है, अक्सर इसे सूर्य देव से जोड़ा जाता है।
- हिमाचल प्रदेश में यह सबसे पूर्वी नदी है।
2. उद्गम और मार्ग
- यमुना उत्तराखंड की गढ़वाल पहाड़ियों में यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है।
- यह सिरमौर जिले के खादर माजरी में हिमाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।
- यह नदी उत्तराखंड के साथ हिमाचल प्रदेश की पूर्वी सीमा का एक हिस्सा बनाती है।
- यह ताजेवाला के पास हिमाचल प्रदेश छोड़कर हरियाणा में प्रवेश करती है।
- यमुना की कुल लंबाई लगभग 1,376 किलोमीटर है।
- यह उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में त्रिवेणी संगम में गंगा से मिलती है।
3. हिमाचल प्रदेश में सहायक नदियाँ
हिमाचल प्रदेश में यमुना की मुख्य सहायक नदियाँ हैं:
- टोंस
- पब्बर
- गिरी
4. सहायक नदियों का विवरण
टोंस नदी:
- यह यमुना की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है।
- यह यमुनोत्री क्षेत्र से निकलती है।
- टोंस, सुपिन और रूपिन नदियों के संगम से बनती है।
पब्बर नदी:
- यह एक और महत्वपूर्ण सहायक नदी है।
- यह शिमला जिले के चिड़गाँव तहसील में चाँसल चोटी के पास चंद्रनाहन झील से निकलती है।
- पब्बर की एक सहायक नदी आंध्रा, शिकरी और पटसारी नदी है।
गिरी नदी (गिरी गंगा):
- यह शिमला जिले के जुब्बल शहर के ऊपर कुपर चोटी के पास से निकलती है।
- यह दक्षिण-पूर्वी दिशा में बहती है और सिरमौर जिले को सिस-गिरी और ट्रांस-गिरी क्षेत्रों में विभाजित करती है।
- गिरी की सहायक नदियों में जलाल और अशनी नदियाँ शामिल हैं।
जलाल नदी:
- यह गिरी की एक छोटी सहायक नदी है।
- यह धारथी पर्वतमाला से निकलती है और दादहू के पास गिरी (और यमुना) में मिलती है।
अशनी नदी:
- यह गिरी नदी की एक सहायक नदी है।
बाटा नदी:
- हालांकि यह यमुना की सीधी सहायक नदी नहीं है, लेकिन यह प्रासंगिक है क्योंकि गिरी नदी का पानी इसमें मोड़ दिया जाता है।
- यह नाहन रिज के नीचे से निकलती है।
- बाटा की सहायक नदियों में खरा-का-खाला और कांसर खाला शामिल हैं।
मार्कंडा नदी:
- यह सिरमौर जिले के नाहन क्षेत्र की एक छोटी नदी है।
- यह निचले हिमालय के दक्षिणी मुख से निकलती है।
5. जलग्रहण क्षेत्र और प्रवाह
- हिमाचल प्रदेश में यमुना नदी प्रणाली का कुल जलग्रहण क्षेत्र लगभग 2,320 वर्ग किलोमीटर है।
- यह नदी हिमाचल प्रदेश के भीतर अपेक्षाकृत कम दूरी (लगभग 22 किमी) तक बहती है।
6. महत्व
- यमुना के पानी का उपयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
- यह लकड़ी के लट्ठों के परिवहन में भी भूमिका निभाती है।
- नदी का उपयोग जलविद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है।
7. भूवैज्ञानिक/भू-आकृतिक विशेषताएँ
यमुना घाटी में इंटरलॉकिंग स्पर्स, घाटियाँ (गॉर्ज), खड़ी चट्टानें और छतों जैसी विशेषताएँ दिखाई देती हैं।