गिरिराज  (4 जून – 10 जून, 2025) संपादकीय

पर्यटन को नए आयाम

पर्यटन एक ऐसा क्षेत्र है जो लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है। यह सांस्कृतिक और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में भी सहयोग करता है। पर्यटन लोगों को नए स्थानों और संस्कृतियों के साथ संपर्क में लाता है जिससे उनके ज्ञान और दृष्टिकोण में व्यापक वृद्धि होती है। हिमाचल प्रदेश को देश के पर्यटन मानचित्र पर सबसे पसंदीदा पर्यटन गंतव्य के रूप में जाना जाता है। मैदानी इलाकों की तपिश के बीच अपनी व्यस्ततम जिंदगी से शांति और सुकून के साथ समय बिताने के लिए पर्यटक यहां का रूख करते हैं। पर्यटन उद्योग का प्रदेश की आर्थिकी में भी अहम योगदान है। इससे यहां के युवाओं को प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है और प्रदेश सरकार भी राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठा रही है। प्रदेश में देशी और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए धार्मिक, ईको, जल, प्राकृतिक गतिविधियों पर आधारित और स्वास्थ्य पर्यटन को विविध आयाम प्रदान किए जा रहे हैं जिसके दृष्टिगत हाल ही में हिमाचल प्रदेश सरकार को रक्षा मंत्रालय से राज्य के सीमावर्ती क्षेत्र लेप्चा, शिपकी-ला, गिऊ और रानी कड़ा में पर्यटन गतिविधियां शुरू करने की स्वीकृति प्राप्त होने से अब इस पर्यटन उद्योग को प्रदेश में और अधिक गति मिलेगी। प्रदेश सरकार की यह नवीन पहल सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने में कारगर साबित होगी और स्थानीय लोगों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने में भी अहम भूमिका निभाएगी। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यटन विकास निगम के होटलों और रेस्तरां के प्रभावी प्रबंधन, नियमित रखरखाव और परिसंपत्तियों के सर्वोत्तम उपयोग के परिणामस्वरूप पहली बार 107 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक टर्न ओवर हासिल कर मील पत्थर साबित किया है जो प्रदेश के लिए गर्व की बात है।

प्रदेश के नैसर्गिक सौंदर्य का आनंद लेने वाले पर्यटकों की संख्या साल-दर-साल बढ़ रही है और राज्य सरकार भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 2415 करोड़ का निवेश कर रही है ताकि प्रदेश में बेहतर पर्यटन अधोसंरचना, वे-साइड एमीनिटिज और अन्य साहसिक गतिविधि को बढ़ावा दिया जा सके। जिसके कारण प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ होगी और युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। पर्यटन ऐसा क्षेत्र है जिससे निर्यात भी बढ़ता है और समृद्धि भी बढ़ती है। प्रदेश सरकार धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। धार्मिक पर्यटन के तहत प्रथम चरण में माता श्री चिंतपूर्णी मंदिर के सौंदर्गीकरण के लिए 58 करोड़ रुपये की डिटेल्ड प्रौजेक्ट रिपोर्ट स्वीकृत होते ही कार्य शुरू करेगी। इसी प्रकार माता श्री ज्वालाजी मंदिर के लिए 100 करोड़ रुपये और माता श्री नैना देवी मंदिर के लिए 100 करोड़ तथा धर्मशाला के तपोवन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कन्वेंशन सेंटर के निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये खर्च करेगी। दूसरे चरण में माता श्री ब्रजेश्वरी मंदिर कांगड़ा, चौरासी मंदिर भरमौर, श्री त्रिलोकीनाथ मंदिर लाहौल को भी शामिल किया जाएगा। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। मंडी में शिवधाम परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार प्रतिबद्ध है। इसके लिए इस वित्त वर्ष में प्रदेश सरकार द्वारा 100 करोड़ रुपये व्यय का अनुमान लगाया गया है। पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध इस प्रदेश में धार्मिक पर्यटन के साथ साहसिक गतिविधियों की अनेक संभावनाएं हैं। बिलासपुर जिले में स्थित गोबिंदसागर झील में जल क्रीड़ा गतिविधियां शुरू होने से पर्यटन को नए आयाम मिले हैं। यहां क्रूज, शिकारा राइड, हाउस बोट, हाई-टेक मोटर बोट और वाटर स्कूटर जैसी गतिविधियों को शुरू किया गया है। प्रदेश में जल आधारित गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए बिलासपुर को केरल व गोवा की तर्ज पर आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रदेश सरकार जिला कांगड़ा को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित कर रही है। कांगड़ा के बनखंडी में चिड़ियाघर का निर्माण भी किया जा रहा है जिससे स्थानीय निवासियों को रोजगार के अवसर तो प्राप्त होंगे ही साथ ही यह पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा। कांगड़ा जिले में पौग डैम के साथ-साथ निकटतम क्षेत्रों के विकास के लिए नगरोटा सूरियां, खब्बल व वैलनेस सैंटर देहरा, काजा और रकछम व छितकुल को पर्यटन गंतव्यों के रूप में विकसित किया जाएगा। प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्राइवेट सैक्टर को आमंत्रित कर इनको दो स्टार, तीन स्टार व पांच स्टार होटल की परमिशन दी जाएगी और एक महीने के अंदर सारी परमिशन दी जाएगी। इन प्रोजैक्टस में हाई एंड हैल्थ एंड वैलनेस सैंटर्ज सीनियर सिटिजन टाऊनशिप हाई वैल्यू टूरिज्म एक्सपिरिएंस सैंटर्ज और विश्व स्तरीय सुविधायुक्त टूरिस्ट अट्रैक्शन स्थापित करने को प्राथमिकता दी जाएगी। हिमाचल में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए होम स्टे की भी अहम भूमिका है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रदश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना शुरू की गई है।

संपादकीय की व्याख्या

इस अंक का संपादकीय, “पर्यटन को नए आयाम”, हिमाचल प्रदेश में पर्यटन क्षेत्र के विस्तार और विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा अपनाई जा रही बहुआयामी रणनीति पर केंद्रित है।

  • मुख्य तर्क: संपादकीय का मूल तर्क यह है कि हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए पर्यटन को पारंपरिक सीमाओं से आगे ले जा रही है। यह केवल प्राकृतिक सौंदर्य पर निर्भर न रहकर, धार्मिक, साहसिक, सीमा और स्वास्थ्य पर्यटन जैसे नए क्षेत्रों को सक्रिय रूप से विकसित कर रही है।
  • प्रमुख विषय:
    1. पर्यटन का विविधीकरण: लेख इस बात पर प्रकाश डालता है कि सरकार कैसे पर्यटन के नए रूप विकसित कर रही है। इसमें लेप्चा, शिपकी-ला जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों को पर्यटन के लिए खोलना एक नवीन पहल के रूप में प्रस्तुत किया गया है। साथ ही, बिलासपुर की गोबिंद सागर झील में जल क्रीड़ा (वाटर स्पोर्ट्स) और विभिन्न धार्मिक स्थलों जैसे श्री चिंतपूर्णी, श्री ज्वालाजी और मंडी में शिवधाम को विकसित करने की योजनाओं का उल्लेख है।
    2. बुनियादी ढांचे का विकास: संपादकीय में पर्यटन के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर सरकार के फोकस को रेखांकित किया गया है। इसमें कांगड़ा को “पर्यटन राजधानी” के रूप में विकसित करना, बनखंडी में चिड़ियाघर का निर्माण, और निजी क्षेत्र को होटल तथा वेलनेस सेंटर स्थापित करने के लिए आमंत्रित करना शामिल है।
    3. आर्थिक विकास और रोजगार: लेख पर्यटन विकास को सीधे तौर पर राज्य की आर्थिकी की मजबूती और युवाओं के लिए रोजगार व स्वरोजगार के अवसरों से जोड़ता है। ‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्टअप योजना’ जैसी पहलों का जिक्र किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना है।
    4. सफलता का उल्लेख: संपादकीय में हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा पहली बार 107 करोड़ रुपये का ऐतिहासिक टर्नओवर हासिल करने को एक मील के पत्थर के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो सरकार की प्रभावी प्रबंधन नीतियों को दर्शाता है।
  • निष्कर्ष: संपादकीय का सार यह है कि सरकार की दूरदर्शी नीतियों, ₹2415 करोड़ के निवेश और विविध पर्यटन उत्पादों के विकास से हिमाचल प्रदेश न केवल देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल के रूप में अपनी स्थिति मजबूत करेगा, बल्कि इससे राज्य में आर्थिक समृद्धि भी आएगी।

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