मूल संपादकीय (जैसा अंक में प्रकाशित है)

बॉर्डर टूरिज्म

हिमाचल प्रदेश, अपनी सुरम्य वादियों, बर्फीले पहाड़ों, कल-कल बहती नदियों और धार्मिक व साहसिक स्थलों के लिए देश-दुनिया के सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र रहा है। गर्मी के इस मौसम में जब मैदानी इलाकों में लू और तपिश चरम पर है, ऐसे में हिमाचल की ठंडी हवाएं और शांत वातावरण पर्यटकों को सुकून देने वाली पनाहगाह बनी हुई है। इन दिनों भी प्रदेश के सभी पर्यटक स्थल सैलानियों की आमद से गुलजार है और यहां की शुद्ध आबोहवा का आनंद लेते देखे जा सकते हैं। राज्य में आने वाले पर्यटकों को किसी भी तरह की दिक्कतें न हो, उन्हें सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवाया जा सके, इसके लिए पुख्ता प्रबंध कर सरकार ‘अतिथि देवो भवः’ की परंपरा को सुदृढ़ कर रही है।

परंपरागत पर्यटन स्थलों को विकसित करने के साथ-साथ अब हिमाचल सरकार एक नई अवधारणा को आकार दे रही है जिसे नाम दिया गया है बार्डर टूरिज्म, यानी सीमा पर्यटन। सीमा पर्यटन का यह विचार प्रदेश को पर्यटन की नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित शिपकी-ला पहुंच कर इस अभियान की ऐतिहासिक शुरूआत की है। यह स्थान न केवल भौगोलिक रूप से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी इसकी अपनी विशेष पहचान है। शिपकी-ला से होकर वह प्राचीन मार्ग गुजरता है जो कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए प्रयुक्त होता था। यही वह जगह है जहां से पवित्र सतलुज नदी भारत में प्रवेश करती है, जो सदियों से भारत और तिब्बत के बीच व्यापारिक व सांस्कृतिक रिश्तों का भी साक्षी रहा है।

सीमा पर्यटन की यह पहल केवल पर्यटन तक सीमित नहीं है। यह क्षेत्रीय विकास, स्थानीय लोगों की आर्थिकी सुदृढ़ करने और ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने का सशक्त माध्यम बन सकती है। राज्य सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है कि वह केंद्र सरकार से कैलाश मानसरोवर यात्रा को शिपकी-ला मार्ग से शुरू करने की मांग कर रही है। इससे जहां श्रद्धालुओं को अधिक सहज और सुंदर मार्ग मिल सकेगा, वहीं देश की सीमाओं से जुड़े इलाकों में पर्यटन का विस्तार भी होगा। सीमा पर बसे गांवों तक पर्यटकों की पहुंच सुनिश्चित करने से इन इलाकों में अधोसंरचना का विकास होगा, रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे और पलायन की समस्या पर भी रोक लगेगी। इससे सीमांत क्षेत्रों की रणनीतिक और सामाजिक मजबूती भी सुनिश्चित होगी, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हिमाचल सरकार का प्रयास पर्यटन को ग्रामीण विकास और राष्ट्रीय हित से जोड़ने का एक अभिनव उदाहरण भी प्रस्तुत करता है।

सीमा पर्यटन की यह पहल आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश को पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिला सकती है। अब समय है कि हम भी इस पहल का हिस्सा बनें और हिमाचल की इन अनछुई, परंपराओं और प्रकृति से समृद्ध सीमांत वादियों की ओर कदम बढ़ाएं। शांति, सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि के इस संगम का अनुभव करें। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि आत्मा को छू जाने वाला अनुभव हो सकता है। और अपनी यात्रा को यादगार बना सकते हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार कांगड़ा जिले को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए भी प्रयासरत है। जिले के बनखंडी में वन्य प्राणी उद्यान की स्थापना का निर्णय विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इसी तरह से बिलासपुर जिला स्थित गोबिन्द सागर झील में साहसिक जलक्रीड़ा गतिविधियों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य से लबरेज कुल्लू, मनाली, शिमला सहित अन्य सभी पर्यटक स्थलों को विकसित करने के प्रदेश सरकार के प्रयास विशेष रूप से सराहनीय हैं। इससे हिमाचल निश्चित रूप से विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान बनाने में कामयाब होगा। 

संपादकीय की व्याख्या

यह संपादकीय, “बॉर्डर टूरिज्म”, हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई एक नई और महत्वपूर्ण पहल ‘सीमा पर्यटन’ के महत्व और दूरगामी प्रभावों पर केंद्रित है।

  • मुख्य तर्क: संपादकीय का केंद्रीय विचार यह है कि ‘सीमा पर्यटन’ की अवधारणा हिमाचल के पर्यटन क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह न केवल राज्य को पारंपरिक पर्यटन स्थलों से आगे एक नई पहचान देगा, बल्कि यह सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास, स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और राष्ट्रीय हितों को साधने का एक सशक्त माध्यम भी बनेगा।
  • प्रमुख विषय:
    1. एक नई पर्यटन अवधारणा: लेख बताता है कि सरकार अब केवल पहाड़ों और धार्मिक स्थलों तक सीमित न रहकर, किन्नौर के शिपकी-ला जैसे सामरिक महत्व वाले सीमांत क्षेत्रों को पर्यटकों के लिए खोल रही है। यह एक अभिनव पहल है जो पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
    2. क्षेत्रीय विकास और आर्थिकी: संपादकीय इस बात पर जोर देता है कि जब पर्यटक सीमावर्ती गांवों तक पहुंचेंगे, तो वहां सड़क, बिजली, पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास होगा। इससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और उनकी आर्थिकी मजबूत होगी, जिससे इन क्षेत्रों से होने वाले पलायन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
    3. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पुनरुद्धार: यह लेख शिपकी-ला के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है, जो कभी कैलाश मानसरोवर यात्रा और तिब्बत के साथ व्यापार का एक प्रमुख मार्ग था। सरकार द्वारा इस यात्रा मार्ग को फिर से शुरू करने की मांग को एक सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के प्रयास के रूप में दर्शाया गया है।
    4. राष्ट्रीय सुरक्षा और हित: संपादकीय यह भी तर्क देता है कि सीमा पर पर्यटन बढ़ने से ये क्षेत्र अधिक जीवंत और विकसित होंगे, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। एक विकसित और आबाद सीमांत क्षेत्र देश की रणनीतिक मजबूती को बढ़ाता है।
  • निष्कर्ष: संपादकीय का सार यह है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा शुरू की गई ‘सीमा पर्यटन’ की यह पहल मात्र एक यात्रा कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और राष्ट्रीय हित को एक साथ साधने का एक दूरदर्शी कदम है। यह पहल हिमाचल को विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाएगी।

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