गिरिराज 14-20 मई 2025   संपादकीय

कचरा प्रबंधन सराहनीय पहल

कचरा प्रबंधन एक महत्त्वपूर्ण पर्यावरणीय और स्वास्थ्य से जुड़ा मुद्दा है। कचरे का अनुचित निपटान मानव स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए भी घातक है इसलिए इसका उचित प्रबंधन अत्यावश्यक है। कचरा प्रबंधन सतत विकास का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित दुनिया बनाने में मदद कर सकता है। हिमाचल प्रदेश एक शांत और प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज राज्य है। यहां की हवा स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ-साथ जीवनदायिनी भी है। यहां के पहाड़ों से कल-कल बहते झरनों का मधुर संगीत, देवदार के हरे-भरे पेड़ों की शीतल हवा, बर्फ से लदे पहाड़, नदी नाले और हरे-भरे वन बरबस ही हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचकर प्रकृति का आनंद उठाते हैं। प्रकृति की इस अनुपम धरा को हरित व स्वच्छ बनाए रखने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार कृतसंकल्प हैं। इसलिए राज्य को कचरा मुक्त करने की अपनी इस परिकल्पना को साकार करने के लिए प्रदेश ने सार्वजनिक एवं निजी परिवहन व टैक्सियों में गार्बेज विन रखना अनिवार्य किया है जिसमें सभी प्रकार के पर्यटक वाहन, सार्वजनिक एवं निजी परिवहन और टैक्सियों को शामिल किया गया है। प्रदेश सरकार ने कचरे से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के लिए यह कदम उठाया है।

प्रदेश में अक्सर ऐसी घटनाएं देखने को मिलती है जब लोगों द्वारा आशित कूड़ा-कचरा और अनाशित अपशिष्ट को यूं ही हर कहीं पर फेंका जा रहा है। जिसके कारण प्रदूषण तो बढ़ता ही है और जगह-जगह पर प्लास्टिक के रैपर, बोतलें इत्यादि देखने को मिलते हैं। यह कूड़ा-कचरा नदी नालों, पेयजल और सीवरेज जैसी सुविधाओं में पहुंचकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इसके मद्देनजर राज्य में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 और हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा कचरा (नियंत्रण) अधिनियम-1995 की धारा-3 क की उपधारा (1) के तहत लोक जल निकास और मलव्ययन में कूड़ा-कचरा फेंकने को प्रतिबंधित किया गया है। इस अधिनियम के तहत हिमाचल प्रदेश में सभी प्रकार के सार्वजनिक एवं निजी परिवहन व टैक्सी सेवाओं में गार्बेज बिन रखना अनिवार्य किया गया है। ताकि कूड़े-कचरे का सही निपटान सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही सार्वजनिक व निजी परिवहन सेवाओं, टैक्सियों एवं पर्यटक वाहनों में अनाशित व आशित कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक से बनी वस्तुओं में भोजन या अन्य खाद्य पदार्थों में परोसने पर 1500 रुपये जुर्माना किया जाएगा और सार्वजनिक परिहवन वाहनों में कूड़ा कचरा पात्र स्थापित न करने पर 10 हजार का जुर्माना किए जाने का प्रावधान किया गया है। सम्बद्ध क्षेत्र के आर.टी.ओ., एमवीआई, बस अड्डा प्रभारी और सार्वजनिक पार्किंग लॉटस के स्वामी यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके अधिकार क्षेत्र में इस आशय की अनुपालना हो। अब प्रदेश में वही वाहन पंजीकृत होंगे जिनमें कूड़ा-कचरा पात्र स्थापित किए होंगे।

प्लास्टिक कचरे का पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने और इसका स्थाई रूप से प्रबंधन सुनिश्चित किया जाए इसके लिए प्रदेश सरकार ने पहली जून से सभी सरकारी कार्यक्रमों व होटलों में पॉलीथीन टेरेफ्थैलेट (पी.ई.टी.) विशेषता वाली 500 मिलीलीटर तक की पानी की छोटी बोतलों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है। हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा कचरा (नियंत्रण) अधिनियम 1995 की धारा-3-क की उपधारा (1) और हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा कचरा नियंत्रण संशोधन अधिनियम 2023 की धारा-2 के तहत राज्य के सभी सरकारी विभागों, बोडों, निगमों तथा सरकार के अन्य संगठनों द्वारा आयोजित की जाने वाली बैठकों, सम्मेलनों, कार्यक्रमों के साथ-साथ पर्यटन निगम के होटलों और निजी होटलों में 500 मिलीलीटर तक की पी.ई.टी. बोतलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया है। इन बोतलों के स्थान पर कांच की बोतलें, स्टील के कन्टेनर व वॉटर डिस्पेंसर जैसे पर्यावरण अनुकूल विकल्प अपनाने होंगे। यूं तो हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कचरा निपटान और स्वच्छता के सम्बन्ध में व्यापक जन-जागरूकता के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं। लेकिन समाज को भी इस क्षेत्र में अपनी भूमिका का निर्वहन गम्भीरता से करना होगा। यदि हम सब मिलकर इस क्षेत्र में कार्य करते हैं तो सरकार की यह कचरा प्रबंधन की मुहिम अवश्य ही सफल होगी और यही आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी बहुमूल्य विरासत होगी। हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जिसने वर्ष 1999 से प्लास्टिक के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया था जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय कदम है।


सम्पादकीय का विवरण

यह सम्पादकीय हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की प्रशंसा करता है, विशेष रूप से कचरा प्रबंधन के संदर्भ में।

मुख्य बिंदु:

  • समस्या का चित्रण: सम्पादकीय की शुरुआत कचरा प्रबंधन को एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चुनौती के रूप में प्रस्तुत करने से होती है। यह बताता है कि अनुचित कचरा निपटान किस प्रकार मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है।
  • हिमाचल का संदर्भ: हिमाचल प्रदेश की प्राकृतिक सुंदरता और पर्यटन पर इसके महत्व को रेखांकित करते हुए, सम्पादकीय इस बात पर जोर देता है कि इस धरोहर को बनाए रखने के लिए राज्य को स्वच्छ रखना आवश्यक है।
  • सरकारी पहल:
    • अनिवार्य गार्बेज बिन: सरकार ने सार्वजनिक और निजी परिवहन (पर्यटक वाहनों सहित) में गार्बेज बिन रखना अनिवार्य कर दिया है। इसका उद्देश्य कचरे के सही निपटान को सुनिश्चित करना है।
    • दंडात्मक प्रावधान: नियमों का उल्लंघन करने वालों पर, जैसे कि प्लास्टिक की वस्तुओं में खाद्य पदार्थ परोसने पर 1500 रुपये का जुर्माना और वाहनों में कूड़ा पात्र न लगाने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
    • PET बोतलों पर प्रतिबंध: 1 जून से सरकारी कार्यक्रमों और होटलों में 500 मिलीलीटर तक की PET पानी की बोतलों पर प्रतिबंध लगाया गया है, और इसके स्थान पर पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों का सुझाव दिया गया है।
  • कानूनी आधार: इन सभी पहलों को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 और हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (नियंत्रण) अधिनियम, 1995 (संशोधित 2023) के तहत लागू किया गया है।
  • जनभागीदारी का आह्वान: सम्पादकीय इस बात पर बल देता है कि सरकारी प्रयासों के साथ-साथ समाज की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। जन-जागरूकता और सामूहिक प्रयास से ही इन मुहिमों को सफल बनाया जा सकता है।
  • हिमाचल की विरासत: अंत में, सम्पादकीय हिमाचल प्रदेश द्वारा 1999 में प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने वाले पहले राज्य होने के ऐतिहासिक कदम को याद दिलाता है, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

समग्र संदेश:

सम्पादकीय का मूल संदेश यह है कि हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा कचरा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए कदम प्रशंसनीय हैं और ये राज्य को स्वच्छ तथा हरा-भरा बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इन प्रयासों की सफलता के लिए न केवल सख्त नियमों का पालन बल्कि व्यापक जन-जागरूकता और सामुदायिक भागीदारी भी अनिवार्य है। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है जिससे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।

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