संपादकीय: गिरिराज (6-12 अगस्त 2025)
शिक्षा क्षेत्र में प्रगति
शिक्षा किसी भी प्रगतिशील समाज की नींव होती है। इसी सोच के साथ सरकार हर बच्चे को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए निरंतर प्रयासरत है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए बीते कुछ वर्षों में सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अनेक सुधारात्मक कदम उठाए हैं। स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने से लेकर आधुनिक विषयों और डिजिटल लर्निंग टूल्स को शामिल करने तक सरकार हर स्तर पर काम कर रही है। नई शिक्षा नीति के तहत सरकार द्वारा स्कूलों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डेटा साइंस जैसे आधुनिक विषय शुरू करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है, जिससे बच्चों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार किया जा सके।
बच्चों की भाषा क्षमता को बचपन से ही बेहतर बनाने के लिए अब सरकारी स्कूलों में पहली कक्षा से ही अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई शुरू कर दी गई है। इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस-2025) में हिमाचल प्रदेश ने शानदार प्रदर्शन करते हुए देशभर में 5वां स्थान हासिल किया है, जबकि वर्ष 2021 में हिमाचल 21वें पायदान पर था। असर रिपोर्ट-2025 में हिमाचल के बच्चों की पढ़ने की क्षमता पूरे देश में बेहतर आंकी गई है।
शिक्षा के अधिकतर मानकों पर हिमाचल प्रदेश, देश के सर्वश्रेष्ठ राज्यों में शुमार है। स्कूल शिक्षा व्यवस्था को और सशक्त बनाने के लिए सरकार हर विधानसभा क्षेत्र में राजीव गांधी राजकीय मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित कर रही है। इन स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, खेल सुविधाएं और अन्य आधुनिक संसाधन उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। इसके अलावा, सरकार ने 500 प्राथमिक स्कूल, 100 उच्च विद्यालय, 200 वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, 48 महाविद्यालयों और दो संस्कृत महाविद्यालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस घोषित किया है।
शिक्षकों को विश्वस्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए सरकार ने सिंगापुर के प्रतिष्ठित प्रिंसिपल्स एकेडमी के साथ ऐतिहासिक समझौता किया है। मेधावी छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा के 10,500 से अधिक छात्रों को मुफ्त टैबलेट वितरित किए गए हैं। प्रदेश के बच्चों के उच्च शिक्षा के सपनों को साकार करने के लिए सरकार की डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना के तहत विद्यार्थी 1% ब्याज दर पर ₹20 लाख तक का शिक्षा ऋण प्राप्त कर सकते हैं।
शिक्षा के साथ-साथ बच्चों की पोषण आवश्यकताओं का भी ध्यान रखा जा रहा है। मुख्यमंत्री बाल पोषाहार योजना के तहत 15,000 से अधिक स्कूलों में 5.35 लाख बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। इन मजबूत और ठोस प्रयासों के फलस्वरूप प्रदेश शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ रहा है और पूरे देश के लिए एक मिसाल बनकर उभर रहा है।
कृषि और बागवानी
कृषि हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। प्रदेश सरकार विभिन्न योजनाओं के माध्यम से यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रदेश के किसान न केवल उन्नत प्रौद्योगिकी और बेहतर बीज प्राप्त कर सकें बल्कि अपनी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए बाजार में अच्छा मूल्य अर्जित कर सकें।
प्रदेश सरकार की ऐसी ही एक महत्वाकांक्षी योजना है मुख्यमंत्री कृषि उत्पादन संरक्षण योजना। इस योजना के एक घटक के रूप में प्रदेश सरकार ने सौर बाड़बंदी योजना आरंभ कर किसानों की फसल को बंदरों और जंगली जानवरों से बचाने की दिशा में सफल प्रयास आरंभ किया है। सोलन जिले के नालागढ़ उपमंडल के किसान जगदीश चंद इसका एक सफल उदाहरण हैं। प्रदेश सरकार द्वारा उन्हें कुल लागत का 70 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया गया, जिससे उन्होंने अपनी कृषि योग्य भूमि की सौर ऊर्जा चालित बाड़बंदी (सोलर फेंसिंग) की।
यह योजना किसानों को कम लागत में दीर्घ अवधि की सुरक्षा प्रदान कर रही है। वर्ष 2024-25 में नालागढ़ उपमंडल के 13 किसानों को इस योजना के अंतर्गत ₹83.50 लाख का अनुदान प्रदान किया गया है। सरकार का उद्देश्य है कि हिमाचल का प्रत्येक किसान नई तकनीक और नवाचार से जुड़कर सुरक्षित खेती अपनाए। इसके लिए सरकार ने ₹12.75 करोड़ का बजट प्रावधान किया है।
संपादकीय विश्लेषण
यह विश्लेषण प्रस्तुत लेखों की सामग्री, शैली और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उनकी प्रासंगिकता पर केंद्रित है।
1. शिक्षा क्षेत्र में प्रगति का विश्लेषण
लेख में हिमाचल प्रदेश सरकार की शिक्षा नीतियों और सुधारों पर विस्तृत चर्चा की गई है।
- सकारात्मक पहलू: नई शिक्षा नीति (NEP) के तहत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक विषयों को शामिल करना एक दूरदर्शी कदम है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (NAS-2025) में 21वें से 5वें स्थान पर आना एक उल्लेखनीय सुधार है। राजीव गांधी मॉडल डे-बोर्डिंग स्कूल, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, और सिंगापुर के साथ शिक्षक प्रशिक्षण समझौता, शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। डॉ. वाई.एस. परमार ऋण योजना और मुफ्त टैबलेट वितरण जैसे कदम सामाजिक समानता को बढ़ावा देते हैं।
- आलोचनात्मक दृष्टिकोण: संपादकीय सरकार की उपलब्धियों पर केंद्रित है। एक संतुलित दृष्टिकोण में ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी, बुनियादी ढांचे के पूर्ण विकास की चुनौतियां और नीतियों के जमीनी कार्यान्वयन में आने वाली बाधाओं पर भी चर्चा होनी चाहिए थी।
2. कृषि और बागवानी का विश्लेषण
यह अंश कृषि क्षेत्र में सरकार के हस्तक्षेप, विशेष रूप से फसल सुरक्षा पर प्रकाश डालता है।
- सकारात्मक पहलू: मुख्यमंत्री कृषि उत्पादन संरक्षण योजना के तहत सौर बाड़बंदी एक क्रांतिकारी कदम है। यह जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा कर किसानों की आय बढ़ाने में सीधे तौर पर सहायक है। 70% अनुदान और एक महत्वपूर्ण बजट आवंटन इस योजना के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाता है।
- आलोचनात्मक दृष्टिकोण: लेख योजना के सकारात्मक प्रभाव को किसान के उदाहरण से प्रस्तुत करता है। हालांकि, इसमें संभावित चुनौतियों, जैसे बाड़बंदी के रखरखाव की लागत, तकनीकी जागरूकता की कमी या यह सुनिश्चित करना कि लाभ सभी छोटे किसानों तक पहुंचे, का उल्लेख नहीं है।