गिरिराज साप्ताहिक ( 30 जुलाई – 5 अगस्तई, 2025) का संपादकीय/Editorial
संपादकीय
हिमाचल प्रदेश के लोगों को पारदर्शी और सुविधाजनक सेवाएं त्वरित सुनिश्चित हों, इसके लिए प्रदेश सरकार सार्थक और सकारात्मक कदम उठा रही है। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए, प्रदेश सरकार ने लोगों को राजस्व मामलों से जुड़ी समस्याओं का निपटारा घर-द्वार पर करने के लिए राज्य में उप-तहसील स्तर पर लोक राजस्व अदालतों का आयोजन कर रहा है। जो अपने आप में एक अनूठी पहल है और राज्य सरकार का यह कदम लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। राजस्व विभाग द्वारा आधुनिक तकनीक का व्यापक स्तर पर उपयोग किया जा रहा है। अभी तक 90 प्रतिशत गांवों के नक्शे ‘भू-नक्शा’ पोर्टल पर अपलोड किए जा चुके हैं, साथ ही 1.44 करोड़ खसरा नंबरों में से 1.19 करोड़ के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (भू-आधार) बनाए जा चुके हैं और 71 प्रतिशत खातों को आधार नंबर के साथ जोड़ा जा चुका है। इसके साथ ही 30 प्रतिशत भूमि मालिकों की आधार सीडिंग भी पूरी हो चुकी है। भूमि मालिकों को राहत मिले, इसके लिए राजस्व कोर्ट मामलों की फाइलिंग और प्रबंधन के साथ-साथ इंतकाल प्रक्रिया का पूर्ण डिजिटलीकरण करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 में भी संशोधन किया गया है, जिससे सक्षम अधिकारी ई-समन को ई-मेल या वॉट्सऐप के माध्यम से जारी कर सकेंगे। इस प्रावधान से समय की बचत होगी। साथ ही जो पहले मामलों के निपटान में देरी होती है, अब वह देरी नहीं होगी। लोगों की सुविधा के लिए राजस्व विभाग द्वारा पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली (माय डीड) शुरू की है। अब लोग किसी भी समय और कहीं से भी रजिस्ट्री तहसीलदार को आवेदन कर सकेंगे। लोगों को अपनी जमीन की रजिस्ट्री करवाने के लिए केवल एक बार ही कार्यालय जाना होगा, जिससे उनका समय और धन दोनों की बचत होगी। इस पहल से जमीन की रजिस्ट्री प्रक्रिया और अधिक सरल और सुविधाजनक होगी। प्रदेश के कई जिलों की तहसीलों में यह प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है।
राजस्व विभाग के कार्यों को और बेहतर बनाया जा सके और लोगों के लिए पंजीकरण व अन्य प्रक्रियाएं सरल व सुगम हों, इसके लिए जमाबंदी, ई-रोज़नामचा, वाक्याती और कारगुजारी पहलों का भी शुभारंभ किया गया है। जमाबंदी का हिंदी प्रारूप भी सरल बनाया गया है, जिसमें पारंपरिक उर्दू, अरबी और फारसी जैसी भाषा को हटाया गया है ताकि सभी लोग भूमि रिकॉर्ड को आसानी से समझ व पढ़ सकें। ई-रोज़नामचा की शुरुआत भी ई-गवर्नेंस में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे पटवारी रोजमर्रा की गतिविधियों का रिकॉर्ड रखने के साथ-साथ रिपोर्ट करने में सक्षम होंगे। इससे तहसीलदार, पटवारियों की कार्यप्रणाली की बेहतर निगरानी भी कर सकेंगे। ऑनलाइन म्यूटेशन रजिस्टर को भी शीघ्र ही इस पहल से जोड़ा जाएगा।
प्रदेश सरकार का राजस्व विभाग डिजिटल माध्यम से हस्ताक्षरित किए गए जमाबंदी मॉड्यूल पर भी कार्य कर रहा है, जिससे लोगों को ‘फर्द’ प्राप्त करने के लिए बार-बार पटवारखाने के चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जाएगा। इसके अतिरिक्त, ऑनलाइन म्यूटेशन मॉड्यूल विकसित किया जाएगा और इसे जमाबंदी रिकॉर्ड से जोड़ा जाएगा, जिससे म्यूटेशन पंजीकरण की प्रक्रिया में तेजी आएगी। प्रदेश सरकार की इस डिजिटल पहल का लोगों को पूर्ण लाभ मिले, इसके लिए सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे विशेष रूप से उन मामलों में, जहां भूमि एक से अधिक लोगों के संयुक्त नाम पर है, के लिए ‘खानगी तकसीम’ को मिशन मोड में अपनाएं। इससे ‘सिंगल खाता, सिंगल ओनर’ की अवधारणा को बढ़ावा मिलेगा और भूमि रिकॉर्ड अधिक सरल व स्पष्ट बनेंगे।
राज्य सरकार के इस कदम से जनता की समस्याओं के त्वरित निवारण और जरूरतमंदों को राहत मिलेगी। नवीनतम हवाई सर्वेक्षण तकनीक के माध्यम से चयनित शहरी क्षेत्र में वास्तविक जमीनी स्थिति के अनुसार राजस्व रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिससे बेहतरीन शहरी नियोजन में मदद मिलेगी। पिछले ढाई वर्षों में राजस्व मामलों में बड़े पैमाने पर सुधार किए हैं। प्रदेश सरकार की यह डिजिटल पहल लोगों को राहत पहुंचाएगी और अब उन्हें सरकारी कार्यालय के बार-बार चक्कर लगाने की जरूरत कम पड़ेगी।
संपादकीय का सार एवं विश्लेषण:
निष्कर्षः संपादकीय इस सरकारी कदम को जनता के हित में एक बड़ा और स्वागतयोग्य बदलाव मानता है, जिससे सरकारी कार्यशैली में पारदर्शिता, तकनीकी उन्नति व जनसामान्य को प्रत्यक्ष लाभ मिल सकेगा। सरकार को सलाह दी गई है कि हर फीडबैक पर ध्यान दे और ‘अंतिम छोर के व्यक्ति’ की आवश्यकताओं का भी ध्यान रखे।
भूमिकाः इस संपादकीय में हिमाचल प्रदेश सरकार की हालिया डिजिटल भूमि अभिलेख सुधार (Digital Land Records and Registration) एवं ई-गवर्नेंस पहलों का उल्लेख है, जिससे जमीन संबंधी कार्य और रिकॉर्डिंग (जैसे भू अभिलेख, दाखिल-खारिज, सर्टिफिकेट आदि) ऑनलाइन हो सकेंगे।
सरलता व पारदर्शिताः ऑनलाइन प्लेटफॉर्म (Him Bhoomi, Registration Portal) के माध्यम से जमीन की रजिस्ट्री, मालिकाना बदल, प्रमाण-पत्र आदि प्रक्रियाएँ आसान और पारदर्शी बन जाएंगी। इससे आम लोगों का समय और पैसा दोनों बचेगा।
ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्र में लाभः यह प्रणाली खासकर ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के किसानों/भूमी मालिकों को लाभ देगी—अब उन्हें कई बार सरकारी दफ्तर के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
फायदे और सतर्कताः
एक ही बार अभिलेख तैयार करने/अपडेट करने से लम्बी प्रक्रिया समाप्त होगी, जिससे भ्रष्टाचार के अवसर घटेंगे।
स्थानीय भाषाओं और सरल प्रक्रिया के चलते पढ़े-लिखे न होने पर भी ग्रामीण जन इसका लाभ उठा सकेंगे।
सरकारी स्तर पर ट्रेनिंग, रिवाइज्ड सॉफ्टवेयर और जागरूकता के लिए अभियान आवश्यक होंगे।