गिरिराज 23 से 29 अप्रैल 2025
संसाधन सृजन व ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण से आत्मनिर्भर बन रहा हिमाचल (78वां हिमाचल दिवस मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू का आलेख)
78 वें हिमाचल दिवस की शुभकामनाएं। देश की आज़ादी के आठ महीनों के बाद सन् 1948 को इस प्रदेश 30 छोटी-बड़ी पहाड़ी रियासतों के विलय से केन्द्र शासित चीफ कमीशनर प्रोविंस के रूप में अस्तित्व में आया। इसमें उस समय के नेतृत्व के साथ-साथ प्रजामंडल आंदोलन के नायकों, आंदोलनकारियों और प्रदेश की जनता ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज इस पावन अवसर पर मैं हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवन्त सिंह परमार सहित उन महान विभूतियों के प्रति सम्मान व्यक्त करता हूं जिन्हों ने हिमाचल प्रदेश को अलग पहचान देने में बहुमूल्य योगदान दिया। मैं इस वीर भूमि के उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों एवं सैनिकों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। प्रदेश के मेहनती, ईमानदार व शान्तिप्रिय लोगों का विशेष रूप से आभार जिनके निरन्तर प्रयासों से हिमाचल ने देश-विदेश में अपनी खास पहचान बनाई है।
हमारी सरकार ने वर्ष, 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाने और वर्ष 2032 तक देश का सबसे समृद्धशाली राज्य बनाने का संकल्प लिया है। सीमित संसाधनों के बावजूद हम अपने संकल्प की पूर्ति की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। राज्य सरकार के हर 100 रुपये में से 42 रुपये कर्मचारियों के वेतन और पेंशन, 11 रुपये कर्ज की अदायगी पर और 10 रुपये कर्ज का मूलधन चुकाने पर खर्च किए जा रहे हैं। इसके बावजूद, हमने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कई महत्त्वपूर्ण बदलाव किए हैं तथा वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए कड़े फैसले लेने में भी संकोच नहीं किया, जिस कारण आर्थिक स्थिति फिर पटरी पर आने लगी है। विधानसभा चुनाव के दौरान किए गए दस वायदों में से छह वायदों को पूरा कर हम जनता की कसौटी पर खरा उतरने में सफल रहे हैं। शेष चार गारंटियों को भी हम पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हिमाचल प्रदेश को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमारी सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान कर रही है। पहली बार दूध और प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं, मक्की व हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया गया है। प्राकृतिक खेती कर रहे प्रदेश के 1.58,785 किसानों को प्रमाणित किया गया है। प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को हिम परिवार रजिस्टर से जोड़ा जाएगा। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा तैयार उत्पादों की बिक्री के लिए ई-कॉमर्स वैबसाइट शुरू की गई है। हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि किसानों के हित में कृषि ऋण व्याज अनुदान योजना शुरू की जाएगी, जिसके माध्यम से एकमुश्त सेटलमेंट नीति लाकर किसानों के मूलधन पर लगने वाले ब्याज का 50 प्रतिशत हिस्सा सरकार वहन करेगी। हमारी सरकार ने प्राकृतिक पद्धति से उगाई मक्की का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये और गेहूं का 40 रुपये से बढ़ाकर 60 रुपये प्रति किलो किया है। पहली बार प्राकृतिक हल्दी का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार कच्ची हल्दी 90 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदने जा रही है। हमीरपुर जिले में स्पाइस पार्क का निर्माण भी किया जाएगा। आलू की खेती को बढ़ावा देने के लिए ऊना जिले में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इस वर्ष गाय और भैंस के दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में फिर से वृद्धि की गई है। हमने गाय के दूध पर समर्थन मूल्य 32 से बढ़ाकर 45 रुपये किया जिसे अब 51 रुपये प्रति लीटर किया गया है। इसी तरह, भैंस के दूध पर समर्थन मूल्य 47 से बढ़ाकर 55 रुपये किया गया था, जिसे अब 61 रुपये प्रति लीटर किया गया है। हमने पंजीकृत दूध समितियों को सुदृढ़ करने के लिए परिवहन अनुदान को 1.5 रुपये से बढ़ाकर तीन रुपये प्रति लीटर करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के सेब बागबानों को लाभान्वित करने के लिए हमारी सरकार ने पिछले वर्ष से यूनिवर्सल कार्टन का इस्तेमाल अनिवार्य किया। मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत 153 करोड़ रुपये की देनदारियां भी चुकाई हैं।
हमने 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए सौर परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जा रही है। हम परिवहन क्षेत्र में ई-वाहन और अधोसंरचना विकास को बड़े स्तर पर प्रोत्साहन दे रहे हैं। चम्बा में प्रदेश के पहले ग्रीन हाइड्रोजन मोबिलिटी स्टेशन का निर्माण कार्य जारी है। सोलन जिले के नालागढ़ में एक मेगावाट की ग्रीन हाईड्रोजन परियोजना स्थापित की जा रही है। ई-वाहनों को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में छह ग्रीन कॉरिडोर स्थापित किए जा चुके हैं। ३००० डीजल और पैट्रोल टैक्सी वाहनों को ई-वाहनों से बदलने के लिए 40 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाएगा। वन प्रबंधन तथा वन विस्तार में महिला एवं युवक मंडलों की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये की ‘राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना’ लागू की जाएगी। प्रत्येक समूह को पांच वर्षों में छह लाख 40 हजार रुपये दिए जाएंगे। हमारी सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए दृढसंकल्प है। सभी पात्र महिलाओं को चरणबद्ध तरीके से प्रतिमाह 1500 रुपये प्रदान करने के लिए ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि’ योजना आरंभ की गई है ताकि अपनी दैनिक ज़रूरतों के लिए उन्हें किसी पर निर्भर ना रहना पड़े। एक जनवरी, 2025 से 31 मार्च, 2026 के बीच 21 वर्ष की आयु पूरा करने वाली बेटियों तथा दूसरों के घरों में काम कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाली महिलाओं को भी इस योजना से लाभान्वित किया जाएगा। ‘महर्षि वाल्मीकि कामगार आवास योजना’ के अंतर्गत दो लाख 50 हजार रुपये से कम सालाना आय वाले वाल्मीकि समुदाय के सफाई कर्मचारियों को घर बनाने के लिए तीन लाख रुपये देने का प्रावधान है। समाज के संवेदनशील वर्गों के अधिक से अधिक लोगों को लाभान्वित करने के लिए बीपीएल परिवारों की सूची में संशोधन किया जा रहा है। हमारी सरकार ने मनरेगा दिहाड़ी में ४० रुपये की ऐतिहासिक वृद्धि कर इसे 240 से बढ़ाकर 320 रुपये किया है। दिहाड़ीदारों को 25 रुपये बढ़ोतरी के साथ 425 रुपये प्रतिदिन दिहाड़ी देने का निर्णय लिया गया है।
अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और वृद्धजनों को सहारा देने के लिए हमने ‘मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना’ शुरू की है। इसके तहत 6000 बच्चों को ‘चिल्ड्रन आफ द स्टेट’ के रूप में अपनाया गया है। अनाथ बच्चों को सहारा देने के लिए कानून बनाने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बना है। हाल ही में कई जिलों से ‘चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट’ को दिल्ली, चंडीगढ़, गोवा और अटारी-बाघा बॉर्डर आदि स्थानों के भ्रमण पर भेजा गया। हिमाचल में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही धार्मिक और साहसिक पर्यटन की अपार सम्भावनाएं हैं। हमारी सरकार इन सम्भावनाओं का पर्याप्त दोहन करते हुए हिमाचल को विश्व के पर्यटन मानचित्र पर एक चमकते सितारे के रूप में स्थापित करने को पूर्णतः समर्पित है। कांगड़ा जिले को प्रदेश की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने का कार्य प्राथमिकता से किया जा रहा है। गगल हवाई अड्डे का विस्तार किया जा रहा है। प्रदेश भर में लगभग 2400 करोड़ रुपये से नए पर्यटन स्थल विकसित किए जाएंगे। ‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्ट-अप योजना’ के तहत जनजातीय क्षेत्रों में हिमाचली युवाओं को होम स्टे और होटल बनाने के लिए ऋण पर पांच प्रतिशत और गैर-जनजातीय क्षेत्रों में चार प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जाएगा। औद्योगिक विकास को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने पिछले साल 149 औद्योगिक प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की जिनमें 3084 करोड़ रुपये का निवेश होगा और लगभग 15 हजार लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। हमने युवाओं के लिए 680 करोड़ रुपये की ‘राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना’ शुरू कर अपनी चुनावी गारंटी को पूरा किया है। प्रदेश के शहरी क्षेत्र के फल-सब्जी विक्रेताओं, चाय विक्रेताओं और अन्य के लिए मुख्यमंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना शुरू की जाएगी।
हमारी सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में गुणवत्ता लाते हुए यह सुनिश्चित करेगी कि प्रदेश के किसी भी व्यक्ति को बेहतरीन उपचार के लिए बाहरी राज्यों का रुख न करना पड़े। इस वर्ष 1730 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश के सभी चिकित्सा महाविद्यालयों, 69 सिविल अस्पतालों, क्षेत्रीय अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण लगाए जाएंगे। हमीरपुर में 300 करोड़ रुपये की लागत से कैंसर का उत्कृष्ट केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इस वर्ष 69 संस्थानों में डायलिसिस सेवाओं की सुविधा और 11 स्वास्थ्य संस्थानों में ब्लड स्टोरेज यूनिट्स की स्थापना की जाएगी। आईजीएमसी शिमला, एआईएमएसएस चमियाणा तथा हमीरपुर व नेरचौक चिकित्सा महाविद्यालयों में अत्याधुनिक एमआरआई मशीनें और आईजीएमसी शिमला में पैट-स्कैन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी। आईजीएमसी शिमला में नए कैंसर अस्पताल भवन और ट्रॉमा सेंटर की सुविधा प्रदान की है। ‘रोगी मित्र योजना’ के अन्तर्गत विभिन्न स्वास्थ्य संस्थानों में करीब 1000 रोगी मित्रों की नियुक्ति की जाएगी। 70 वर्ष या इससे अधिक आयु के मेरे बड़े भाइयों व बहनों को ‘मुख्यमंत्री वृद्धजन देखभाल योजना’ के अन्तर्गत मोबाइल स्वास्थ्य वैन के माध्यम से घर-घर जाकर स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा प्रदान की जाएगी। ‘आचार्य चरक योजना’ से सभी सरकारी आयुष अस्पतालों और औषधालयों में निःशुल्क जांच और आवश्यक दवाइयां उपलब्ध करवाई जाएंगी। सभी विधानसभा क्षेत्रों में आदर्श स्वास्थ्य संस्थान खोले जा रहे हैं और प्रत्येक में छह-छह विशेषज्ञ चिकित्सक होंगे। कैंसर मरीजों को इलाज सहित 42 प्रकार की दवाइयां मुफ्त प्रदान की जा रही है।
पिछली भाजपा सरकार का कार्यकाल जब पूरा हुआ, उस समय शिक्षा क्षेत्र में हमारी रैंकिंग 21 स्थान पर पहुंच गई थी। हमारे लिए यह बहुत बड़ी चुनौती थी। इस क्षेत्र में सुधार के लिए हमने प्रभावशाली कदम उठाए जिसके कारण प्रदेश की रैंकिंग में जबरदस्त उछाल आया है। एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन की 2024 की वार्षिक रिपोर्ट विद्यार्थियों के सीखने के स्तर और स्कूलों में पेयजल उपलब्धता के मामले में हिमाचल को अव्वल आंका गया है। हमने विद्यार्थियों में आत्मविश्वास पैदा करने और उन्हें शिक्षा के समान अवसर प्रदान करने के लिए सभी स्कूलों में पहली कक्षा से अंग्रेज़ी मीडियम में पढ़ाई आरम्भ की है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अत्याधुनिक तकनीक से लैस राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल स्थापित किए जाएंगे। इस वर्ष 31 डे-बोर्डिंग स्कूलों के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। हमने पहली से बारहवीं तक एक ही शिक्षा निदेशालय का गठन किया है। निदेशालय उच्च शिक्षा, महाविद्यालयों सहित उच्च शिक्षा के सभी पहलुओं की देखरेख करेगा। ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ के तहत विधवा, बेसहारा, तलाकशुदा महिलाओं और विकलांग माता-पिता के बच्चों की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थियों को 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण संबंधी खर्चों के लिए 1000 रुपये प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। स्नातक, स्नातकोत्तर डिप्लोमा या व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने वालों की ट्यूशन फीस और हॉस्टल का खर्च वहन करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। नई पहल के तहत शैक्षणिक गतिविधियों का ज्ञान अर्जित करने के लिए पहले चरण में 270 शिक्षक सिंगापुर भ्रमण पर भेजे गए हैं। इसके अलावा, 200 शिक्षक प्रदेश के अन्य राज्यों में शैक्षणिक अनुभव हासिल कर लौटे हैं। 50 मेधावी विद्यार्थियों को ।। दिनों के शैक्षणिक अध्ययन के लिए कम्बोडिया और सिंगापुर भेजा गया, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना हुई।
हिमाचल प्रदेश में नशीले पदार्थों के सेवन और तस्करी को रोकने के लिए हमने कड़े कदम उठाए हैं। सत्ता में आते ही हमने पीआइटी-एनडीपीएस अधिनियम को लागू किया जो पिछली भाजपा सरकार पांच साल तक नहीं कर पाई। इसके लागू होने के बाद ऐसे लोगों की गिरफ्तारी हुई जो बार-बार नशे के कारोबार में शामिल थे। उनकी संपत्ति की जांच कर उसे अटैच किया जा रहा है। पंचायत स्तर पर नशीले पदार्थों को बेचने वालों और नशे के आदी लोगों की मैपिंग की जा रही है। नशे के चंगुल में फंसे लोगों और इसमें संलिप्त अपराधियों में अंतर करने के लिए नशा निवारण अधिनियम पारित किया गया है। सिरमौर के कोटला बड़ोग में एक अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र बनाया जा रहा है। अन्य जिलों में भी इस प्रकार के सेंटर स्थापित किए जाएंगे, ताकि नशे के दलदल में फंसे व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जाए। नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाई जा रही है। हमने संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम भी पारित किया है। जल आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार के लिए 200 करोड़ रुपये की मुख्यमंत्री स्वच्छ जल शोधन योजना लाई जा रही है। ग्रामीण पेयजल उन्नयन परियोजना के तहत 745 करोड़ रुपये से आठ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में 20,663 घरों तक बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी। पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को बेहतर परिवहन सेवाएं प्रदान करने के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। इस वर्ष परिवहन निगम में 500 ई-बसों की खरीद की जाएगी। शिमला शहर में 1734.40 करोड़ रुपये की लागत से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े रोपवे का निर्माण किया जाएगा। देश के भंगाल जैसे अति दुर्गम क्षेत्र को सड़क सुविधा से जोड़ने और शिमला जिले के दुर्गम डोडरा-क्वार तक पक्की सड़क पहुंचाने की पहल की है।
हमारी सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई है। पारदर्शिता व जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए राज्य चयन आयोग की स्थापना की है। इतिहास में पहली बार तहसील और उप-तहसील स्तर पर विशेष राजस्व अदालत का आयोजन किया। अब तक 2 लाख 75 हजार से अधिक इंतकाल, 16,258 तकसीम, 27,404 निशानदेही और 7260 दुरुस्ती के मामलों का निपटारा किया है। प्रदेश के दूर-दराज इलाकों में बसे लोगों को काम के लिए जिला मुख्यालय या राज्य सचिवालय न आना पड़े, इसके लिए ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। मैं स्वयं डोडरा-क्वार और कुपवी गया और एक रात वहां रुका। मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगी भी इस कार्यक्रम के माध्यम से जन समस्याओं का निवारण कर रहे हैं। हमने अपने दो साल के कार्यकाल में 42,000 से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए हैं। इस वर्ष विभिन्न विभागों में 25,000 भर्तियां की जाएंगी। प्रदेश के विकास में कर्मचारियों की भूमिका सबसे महत्त्वपूर्ण है। हमने पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान की है। प्रदेश के एक लाख 36 हजार एनपीएस कर्मचारियों को इस फैसले का लाभ मिला है। 15 मई से 70 वर्ष से 75 वर्ष के आयु वर्ग के पेंशनरों के बकाया एरियर का भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही कर्मचारियों व अधिकारियों को उनके बकाया वेतन एरियर का चरणबद्ध तरीके से भुगतान किया जाएगा। एक जून से प्रदेश के कर्मचारियों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ते की अतिरिक्त किस्त जारी की जाएगी। राज्य सरकार ने दो वर्षों में 14 प्रतिशत मंहगाई भत्ता जारी किया है। विभिन्न विभागों में कार्यरत पैरा वर्कर के मानदेय में भी ऐतिहासिक बढ़ोतरी की गई है।
मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि आप सभी के सहयोग से प्रदेश सरकार हिमाचल को आत्मनिर्भर और देश के सबसे समृद्धशाली राज्य बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हिमाचल दिवस के अवसर पर मैं पुनः आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
जय हिन्द, जय हिमाचल…!
आलेख का स्पष्टीकरण (Explanation):
यह आलेख हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू द्वारा 78वें हिमाचल दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों के नाम एक संदेश है। इसमें वे हिमाचल प्रदेश की स्थापना से लेकर वर्तमान तक की विकास यात्रा और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डालते हैं।
मुख्य बिंदु:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और श्रद्धांजलि:
- मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश की स्थापना (1948 में 30 पहाड़ी रियासतों के विलय से) को याद करते हैं और इसके निर्माताओं, विशेषकर डॉ. यशवंत सिंह परमार, तथा स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
- प्रदेश की प्रगति में यहां की मेहनती और शांतिप्रिय जनता के योगदान को सराहते हैं।
- सरकार के लक्ष्य और वित्तीय स्थिति:
- सरकार का लक्ष्य 2027 तक हिमाचल को आत्मनिर्भर और 2032 तक देश का सबसे समृद्ध राज्य बनाना है।
- सीमित संसाधनों और वित्तीय देनदारियों (वेतन, पेंशन, कर्ज अदायगी पर बड़ा खर्च) के बावजूद, अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़े फैसले लिए गए हैं।
- विधानसभा चुनावों के दस में से छह वादे पूरे किए जा चुके हैं और शेष को पूरा करने की प्रतिबद्धता है।
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था और कृषि क्षेत्र पर जोर:
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- पहली बार दूध, प्राकृतिक खेती से उगाए गेहूं, मक्की, और हल्दी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) दिया गया है।
- प्राकृतिक खेती को बढ़ावा, किसानों का पंजीकरण, और महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म।
- कृषि ऋण ब्याज अनुदान योजना और दूध के समर्थन मूल्य में वृद्धि।
- सेब बागबानों के लिए यूनिवर्सल कार्टन और मंडी मध्यस्थता योजना की देनदारियों का भुगतान।
- हरित ऊर्जा और पर्यावरण संरक्षण:
- 31 मार्च, 2026 तक हिमाचल को हरित ऊर्जा राज्य बनाने का लक्ष्य, सौर परियोजनाओं को प्राथमिकता।
- ई-वाहनों और संबंधित अधोसंरचना को प्रोत्साहन, ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं और ग्रीन कॉरिडोर स्थापित।
- ‘राजीव गांधी वन संवर्द्धन योजना’ के माध्यम से वन प्रबंधन में जन भागीदारी।
- महिला सशक्तिकरण और सामाजिक कल्याण:
- ‘इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि’ योजना के तहत पात्र महिलाओं को 1500 रुपये मासिक।
- ‘महर्षि वाल्मीकि कामगार आवास योजना’ और बीपीएल सूची में संशोधन।
- मनरेगा दिहाड़ी में वृद्धि।
- ‘मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना’ द्वारा अनाथ बच्चों, बेसहारा महिलाओं और वृद्धजनों को सहारा; हिमाचल अनाथ बच्चों के लिए कानून बनाने वाला पहला राज्य।
- पर्यटन विकास:
- कांगड़ा को पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करना और गगल हवाई अड्डे का विस्तार।
- नए पर्यटन स्थल विकसित करने और ‘मुख्यमंत्री पर्यटन स्टार्ट-अप योजना’ के तहत युवाओं को प्रोत्साहन।
- औद्योगिक विकास और रोजगार:
- औद्योगिक प्रस्तावों को मंजूरी से निवेश और रोजगार सृजन।
- ‘राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना’ और ‘मुख्यमंत्री लघु दुकानदार कल्याण योजना’।
- दो वर्षों में 42,000 से अधिक रोजगार और इस वर्ष 25,000 नई भर्तियों का लक्ष्य।
- स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण:
- चिकित्सा महाविद्यालयों और अस्पतालों में अत्याधुनिक उपकरण, हमीरपुर में कैंसर उत्कृष्टता केंद्र।
- डायलिसिस सेवाओं का विस्तार, ब्लड स्टोरेज यूनिट्स, एमआरआई और पैट-स्कैन सुविधाएं।
- ‘रोगी मित्र योजना’, ‘मुख्यमंत्री वृद्धजन देखभाल योजना’, और ‘आचार्य चरक योजना’।
- सभी विधानसभा क्षेत्रों में आदर्श स्वास्थ्य संस्थान।
- शिक्षा क्षेत्र में सुधार:
- शिक्षा रैंकिंग में सुधार, पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई।
- राजीव गांधी डे-बोर्डिंग स्कूल और एकल शिक्षा निदेशालय का गठन।
- ‘मुख्यमंत्री सुख शिक्षा योजना’ के तहत जरूरतमंद बच्चों को वित्तीय सहायता।
- शिक्षकों और मेधावी विद्यार्थियों के लिए एक्सपोजर विजिट।
- नशा उन्मूलन और कानून व्यवस्था:
- नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने हेतु कड़े कदम, पीआइटी-एनडीपीएस अधिनियम, नशा निवारण अधिनियम, और संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम लागू।
- पुनर्वास केंद्र और स्पेशल टास्क फोर्स का गठन।
- बुनियादी ढांचा और प्रशासन:
- पेयजल आपूर्ति में सुधार, परिवहन निगम में ई-बसें, शिमला में बड़ा रोपवे, और दुर्गम क्षेत्रों तक सड़क संपर्क।
- भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस, राज्य चयन आयोग की स्थापना, विशेष राजस्व अदालतें।
- ‘सरकार गांव के द्वार’ कार्यक्रम से जन समस्याओं का निवारण।
- कर्मचारी कल्याण:
- पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल, एनपीएस कर्मचारियों को लाभ।
- पेंशनरों और कर्मचारियों के बकाया एरियर का भुगतान, महंगाई भत्ते में वृद्धि, पैरा वर्करों के मानदेय में बढ़ोतरी।