गिरिराज साप्ताहिक (22-28 जनवरी, 2025) का संपादकीय
प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 22-28 जनवरी, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “विकास के सकारात्मक प्रयास”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व दिवस के संदर्भ में प्रदेश की विकास यात्रा, उपलब्धियों और भविष्य की दिशा पर प्रकाश डालता है।
संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):
विकास के सकारात्मक प्रयास
गणतन्त्र दिवस से ठीक एक दिन पहले 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। इस दिन शिमला के ऐतिहासिक रिज पर भारी बर्फबारी के बीच तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की। हर्ष और उल्लास से प्रसन्नचित हिमाचल वासियों ने तब से अपनी विकास यात्रा के क्रम को जारी रखते हुए विकास के कई आयाम स्थापित किए। परिणामस्वरूप आज इस पहाड़ी प्रदेश ने स्वयं को देश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकास के आदर्श के रूप में स्थापित किया है। इसका श्रेय प्रदेश के भोले-भाले, ईमानदार तथा मेहनतकतश लोगों और सत्ता में रही सरकारों को जाता है, जिन्होंने प्रदेश के विकास को सकारात्मक दिशा प्रदान की। आज राज्यत्व प्राप्ति के पांच दशकों में हमारे इस सुंदर और शांत प्रदेश ने समग्र विकास सर्वकल्याण के एक नए युग का सूत्रपात किया है। यहां के विनम्र व सौम्य प्रदेशवासियों ने शांति, सद्भाव और कर्मठता की उच्च परम्पराओं को सदैव ही अधिमान देकर राष्ट्र के गौख तथा सम्मान की रक्षा के लिए अपने बलिदानों की आहूति देकर राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भावना का आदर्श स्थापित किया है। इस प्रदेश के नौजवान देश के सैन्य बलों में अपनी अग्रणी भूमिका निभाते हुए देश की सीमाओं की रक्षा हेतु महान बलिदान देने से कभी पीछे नहीं हटे।
गणतन्त्र दिवस व पूर्ण राज्यत्व दिवस पर आज हम उन महान विभूतियों के बलिदान को भी याद करते हैं जिन्होंने देश को आजाद करवाया। हमें उन वीर सपूतों के बलिदान को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए अपने अस्तित्व को ही दांव पर लगा दिया था। उनके इस बलिदान की बदौलत ही हम स्वतन्त्र हवा में सांस ले पा रहे हैं। स्वतन्त्रता संग्राम में असंख्य हिमाचलवासियों ने भी सक्रिय योगदान दिया। भले ही उस समय हिमाचल छोटी-छोटी रियासतों में बंटा था लेकिन फिर भी यहां की जनता ने आजादी की लड़ाई का बिगुल बजाकर स्वतन्त्रता संग्राम में योगदान दिया। उन शहीदों और देशभक्तों को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम देश व प्रदेश के नवनिर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दें। हमारे देशवासियों ने सदैव संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति में आस्था रखी है। वास्तव में हमारा संविधान सर्वग्राही संस्कृति का प्रतिबिम्ब है।
पूर्ण राज्यत्व से पूर्व हिमाचल प्रदेश स्वतन्त्रता प्राप्ति के आठ महीने यानि 15 अप्रैल, 1948 को लगभग 30 रियासतों के विलय के उपरान्त अस्तित्व में आया। पहाड़ी रियासतों को मिलाकर बना यह प्रदेश उस समय अपने आप में ही कई समस्याओं व कठिनाइयों को समेटे था। लेकिन हिमाचल प्रदेश के मेहनतकश लोगों व सत्तासीन सरकारों ने प्रदेश का वर्तमान स्वरूप बनाने में अपना पूर्ण योगदान दिया। एक पहाड़ी प्रदेश होने के नाते राज्य की अपनी कठिन भौगोलिक परिस्थितियां हैं जिसके कारण विकास के कार्यों को अपनी मंजिल तक पहुंचाना इतना सुगम नहीं है। लेकिन यहां के लोगों व सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति ने अपने इस मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की। इसलिए जब प्रदेश को पूर्ण राज्यत्व दिया गया तो उस समय स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने कहा था “पहाड़ों पर हम जितना चढ़ते जाते हैं, रास्ता उतना ही कठिन होता जाता है और हमें तरह-तरह की कठिनाइयों एवं बाधाओं का सामना करना पड़ता है” लेकिन प्रदेश ने इन सब कठिनाइयों का सामना करते हुए स्वयं को एक आदर्श राज्य के रूप में स्थापित किया है। जब हम 1971 और आज के हिमाचल पर नजर डालते हैं तो निःसंदेह इन वर्षों में आशातीत प्रगति देखने को मिलती है। आज प्रदेश में हर गांव व घर में सड़क, बिजली व पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं की कमी नहीं है। सभी को शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। हिमाचल प्रदेश की गिनती अब विकसित राज्यों में की जाती है, जिसका श्रेय यहां की समय-समय पर रही राज्य सरकारों को जाता है जिन्होंने प्रदेश का तीव्र, संतुलित एवं समान विकास सुनिश्चित किया और विकास के लिए अपनी वचनबद्धता का पालन करते हुए समर्पण की भावना से लोगों की सेवा करने का प्रयास किया और गरीब एवं कमजोर वर्गों के उत्थान पर विशेष ध्यान दिया, जिससे यहां के लोगों के जीवन में बदलाव आया।
संपादकीय का विवरण (Description):
यह संपादकीय, “विकास के सकारात्मक प्रयास”, हिमाचल प्रदेश के पूर्ण राज्यत्व दिवस (25 जनवरी) के महत्व को रेखांकित करता है और प्रदेश की स्थापना से लेकर अब तक की विकास यात्रा का सिंहावलोकन प्रस्तुत करता है।
मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:
- ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- लेख 25 जनवरी, 1971 को हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने की ऐतिहासिक घटना का स्मरण कराता है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने शिमला के रिज मैदान से इसकी घोषणा की थी।
- स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 15 अप्रैल, 1948 को लगभग 30 रियासतों के विलय से प्रदेश के अस्तित्व में आने और प्रारंभिक चुनौतियों का भी उल्लेख किया गया है।
- विकास यात्रा और उपलब्धियां:
- संपादकीय में हिमाचल प्रदेश की विकास यात्रा में यहां के मेहनती और ईमानदार लोगों तथा समय-समय पर सत्ता में रही सरकारों के योगदान को सराहा गया है।
- कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद, प्रदेश ने विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं और आज देश के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों के लिए एक आदर्श के रूप में उभरा है।
- पिछले पांच दशकों में प्रदेश ने समग्र विकास और सर्वकल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
- आधारभूत सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली, पानी हर गांव और घर तक पहुंची हैं, तथा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं भी सभी के लिए उपलब्ध हुई हैं।
- संवैधानिक मूल्य और राष्ट्रीय योगदान:
- प्रदेशवासियों द्वारा शांति, सद्भाव और कर्मठता की उच्च परंपराओं को बनाए रखने तथा राष्ट्रीय एकता, सामाजिक सद्भावना और देश की रक्षा में दिए गए बलिदानों का उल्लेख किया गया है।
- स्वतंत्रता संग्राम में हिमाचलवासियों के योगदान को भी याद किया गया है।
- प्रेरणा और भविष्य का दृष्टिकोण:
- यह संपादकीय प्रदेश के नवनिर्माण में सभी से बहुमूल्य योगदान देने का आह्वान करता है।
- स्वर्गीय इंदिरा गांधी के कथन को उद्धृत करते हुए कि “पहाड़ों पर हम जितना चढ़ते जाते हैं, रास्ता उतना ही कठिन होता जाता है”, प्रदेश द्वारा कठिनाइयों का सामना करते हुए एक आदर्श राज्य बनने की सराहना की गई है।
प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश के इतिहास, विशेषकर राज्य गठन और पूर्ण राज्यत्व प्राप्ति से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्यों (जैसे तारीखें, प्रमुख व्यक्तित्व) पर प्रकाश डालता है। प्रदेश की विकास यात्रा, प्रमुख क्षेत्रों (आधारभूत सुविधाएं, शिक्षा, स्वास्थ्य) में हुई प्रगति और हिमाचल की राष्ट्रीय पहचान (जैसे देवभूमि, सैन्य बलों में योगदान) से संबंधित जानकारी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है। इसके अतिरिक्त, यह लेख संवैधानिक मूल्यों और नागरिक कर्तव्यों के महत्व को भी उजागर करता है। यह हिमाचल प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक विकास और शासन प्रणाली को समझने में सहायक है।