गिरिराज साप्ताहिक (19-25 मार्च, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 19-25 मार्च, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “आर्थिक सुदृढ़ीकरण का संकल्प”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की दो वर्षों की उपलब्धियों और आत्मनिर्भर हिमाचल के लिए भविष्य की योजनाओं का विस्तृत उल्लेख है, जो राज्यपाल के अभिभाषण पर आधारित है।

संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):

आर्थिक सुदृढ़ीकरण का संकल्प

प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल के अभिभाषण के साथ शुरू हुए विधानसभा के बजट सत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुदृढ़ीकरण के साथ राज्य को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प दोहराया गया। राज्यपाल ने अपने डेढ़ घंटे के अभिभाषण में एक ओर जहां राज्य सरकार की दो वर्षों के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों को गिनाया वहीं दूसरी ओर आत्मनिर्भर हिमाचल के लिए सरकार द्वारा आरंभ की गई नीतियों एवं कार्यक्रमों का उल्लेख भी किया। अपने 53 पन्नों के अभिभाषण में राज्यपाल ने सरकार के सामाजिक, आर्थिक और बुनियादी ढांचागत सुधारों की विस्तृत जानकारी दी गई। यह अभिभाषण स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि इन दो वर्षों में राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ कर प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ठोस कदम उठाए गए हैं।

राज्यपाल ने यह बताया कि सरकार ने अपनी चुनावी गारंटियों में से छः गारंटियां पूर्ण कर ली हैं। इनमें प्रमुख रूप से किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए लाभकारी योजनाओं की शुरुआत की गई है। इन गारंटियों का क्रियान्वयन प्रदेश के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। सरकार ने विभिन्न विकासात्मक योजनाओं के माध्यम से प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारने का प्रयास किया है। बीते दो वर्षों में कई महत्त्वपूर्ण योजनाओं और परियोजनाओं को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिनका लक्ष्य प्रदेश के आर्थिक, सामाजिक और बुनियादी ढांचे को मजबूत करना है। चाहे वह सौर ऊर्जा परियोजनाएं हों, हेलीपोर्ट और रोप-वे का निर्माण हो, या फिर महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाए गए कदम, इन सभी प्रयासों से प्रदेश समृद्धि और आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है।

सरकार ने महिलाओं और बच्चों के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की है। इस वर्ष से सरकार ने सभी पैरा कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि की है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं की शुरुआत की हैं जिनसे समाज के कमजोर वर्गों को राहत मिली है। जलापूर्ति के क्षेत्र में उठाए गए कदमों के तहत शिमला नगर व आसपास के क्षेत्रों के लिए 1,813 करोड़ रुपये की परियोजना के तहत 24 घंटे पानी की आपूर्ति का कार्य 85 प्रतिशत पूरा हो चुका है। इससे न केवल शहरवासी लाभान्वित होंगे, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की समस्या का समाधान होगा। प्रदेश में पर्यटन विकास के लिए कांगड़ा एयरपोर्ट के विस्तार की प्रक्रिया को तेज किया गया है और राज्य में हेलीपोर्ट के निर्माण को भी प्राथमिकता दी जा रही है। इन निर्णयों से प्रदेश के दूर-दराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी में सुधार होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में भी कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। प्रदेश में 422.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निष्पादन के लिए अनुमति दी गई है। यह कदम न केवल राज्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण योगदान देगा। सरकार द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिरमौर जिले के हरिपुरधार में दो मेगावॉट क्षमता का पवन ऊर्जा प्लांट स्थापित किए जाने का विचार किया जा रहा है। इससे हिमाचल को हरित राज्य बनाने में मदद मिलेगी। ग्रीन पंचायत योजना के अंतर्गत भी ग्राम पंचायतों में 500 किलोवॉट क्षमता की ग्राउंड माउंटेड सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना का कार्य आरंभ कर दिया गया है। इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न भागों में 23 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं, और राज्य में 5 ग्रीन कॉरिडोर पर पीपीई मॉडल पर चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का काम जारी है।

राज्य में बुनियादी ढांचे के सुदृढ़ीकरण के लिए 2.84 किलोमीटर लंबा बिजली महादेव मंदिर रोप-वे बनाया जा रहा है जिसका निर्माण दिसम्बर 2026 तक पूरा होगा। इसके अलावा, बाबा बालक नाथ रोप-वे परियोजना भी इसी समय सीमा के भीतर पूर्ण होगी। चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन परियोजना पर भी सरकार ने 306 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जिसमें 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है। साथ ही सरकार यातायात को सुगम बनाने के लिए सड़कों का निर्माण, गुणवत्ता एवं उचित रख-रखाव को भी प्राथमिकता प्रदान कर रही है। इसके अलावा 458.62 करोड़ की सड़क परियोजनाएं नाबार्ड द्वारा स्वीकृत की गई हैं। राज्य सरकार के अर्थव्यवस्था सुधार के लिए उठाए गए कदमों से यह उम्मीद की जा सकती है कि हिमाचल प्रदेश आने वाले वर्षों में एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य के रूप में उभरेगा।


संपादकीय का विवरण (Description):

यह संपादकीय, “आर्थिक सुदृढ़ीकरण का संकल्प”, हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के आरंभ में राज्यपाल श्री शिव प्रताप शुक्ल द्वारा दिए गए अभिभाषण पर केंद्रित है। इसमें राज्यपाल ने राज्य सरकार की पिछले दो वर्षों की प्रमुख उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं का खाका प्रस्तुत किया, जिसका मुख्य लक्ष्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर हिमाचल को आत्मनिर्भर बनाना है।

मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:

  1. सरकार की उपलब्धियां और प्रतिबद्धता:
    • संपादकीय में बताया गया है कि सरकार ने दो वर्षों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं।
    • सरकार ने अपनी छह चुनावी गारंटियां पूरी कर ली हैं, जिनमें किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए लाभकारी योजनाएं शामिल हैं।
  2. प्रमुख योजनाएं और विकास कार्य:
    • सामाजिक कल्याण: महिलाओं, बच्चों और समाज के कमजोर वर्गों के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू की गई हैं, तथा पैरा कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि की गई है।
    • जलापूर्ति: शिमला और आसपास के क्षेत्रों के लिए 1,813 करोड़ रुपये की 24×7 जलापूर्ति परियोजना का 85% कार्य पूरा हो चुका है।
    • पर्यटन विकास: कांगड़ा एयरपोर्ट का विस्तार और राज्य में हेलीपोर्ट निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है।
    • ऊर्जा क्षेत्र: 422.5 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं को अनुमति दी गई है। सिरमौर जिले के हरिपुरधार में 2 मेगावाट क्षमता का पवन ऊर्जा प्लांट स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है। ‘ग्रीन पंचायत योजना’ के तहत ग्राम पंचायतों में 500 किलोवॉट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। प्रदेश में 23 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए गए हैं और 5 ग्रीन कॉरिडोर पर पीपीपी मॉडल पर चार्जिंग स्टेशन बनाने का काम जारी है।
    • बुनियादी ढांचा: 2.84 किलोमीटर लंबा बिजली महादेव मंदिर रोप-वे (दिसम्बर 2026 तक पूर्ण) और बाबा बालक नाथ रोप-वे परियोजना का निर्माण प्रगति पर है। चंडीगढ़-बद्दी रेल लाइन परियोजना में राज्य सरकार 50% हिस्सेदारी के साथ ₹306 करोड़ खर्च कर चुकी है। नाबार्ड द्वारा ₹458.62 करोड़ की सड़क परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं।
  3. भविष्य का दृष्टिकोण:
    • इन सभी प्रयासों का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को एक समृद्ध और आत्मनिर्भर राज्य बनाना है।

प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:

यह संपादकीय राज्यपाल के अभिभाषण के माध्यम से सरकार की दो साल की प्रमुख उपलब्धियों और आगामी योजनाओं का एक महत्वपूर्ण सारांश प्रस्तुत करता है। इसमें उल्लिखित योजनाएं (जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ग्रीन पंचायत, रोप-वे परियोजनाएं, रेल लाइन परियोजना), वित्तीय आवंटन, और विकास के लक्ष्य प्रतियोगी परीक्षाओं, विशेषकर हिमाचल प्रदेश से संबंधित सामान्य ज्ञान और समसामयिक मामलों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। चुनावी गारंटियों की पूर्ति और आत्मनिर्भर हिमाचल का लक्ष्य सरकार की प्राथमिकताओं को दर्शाते हैं, जिन पर प्रश्न बन सकते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Scroll to Top