गिरिराज साप्ताहिक (16-22 अप्रैल, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 16-22 अप्रैल, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “अनवरत विकास यात्रा”। यह लेख हिमाचल प्रदेश की स्थापना से लेकर वर्तमान तक की विकास यात्रा पर प्रकाश डालता है और सरकारी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

संपादकीय

अनवरत विकास यात्रा

भारत के आजाद होने से ठीक आठ माह बाद 15 अप्रैल, 1948 को हिमाचल प्रदेश चीफ कमिश्नर राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। इस ऐतिहासिक दिवस को 30 पहाड़ी रियासतों के विलय से हिमाचल प्रदेश का गठन हुआ। हिमाचल दिवस के इस शुभ अवसर पर हम हिमाचल निर्माता व प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार और उन महानुभावों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं, जिन्होंने प्रदेश के गठन से लेकर पूर्ण राज्य का दर्जा हासिल करने तक न केवल लंबी राजनीतिक लड़ाई लड़ी, बल्कि इस पहाड़ी राज्य के भावी विकास की ठोस नींव भी रखी।  

जब यह प्रदेश अपने अस्तित्व में आया उस समय यहां पर कुछ गिने-चुने शिक्षण संस्थान, सड़कें और चिकित्सा सेवाएं ही उपलब्ध थीं। ऐसे सामाजिक आर्थिक परिदृश्य में लोगों को प्रगति की राह पर ले जाना एक चुनौतिपूर्ण कार्य था। लेकिन इस विकास यात्रा में यहां के ईमानदार, कर्मठ और प्रगतिशील लोगों के साथ समय-समय पर सत्ता में रही लोकप्रिय सरकारों ने अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। शून्य से अपनी यात्रा आरंभ करने वाले इस पहाड़ी प्रदेश ने अपने इन 77 वर्षों के उपलब्धिपूर्ण सफर में विकास के विभिन्न क्षेत्रों में आज देश के दूसरे राज्यों के लिए कई उदाहरण प्रस्तुत किए हैं। दुर्गम क्षेत्रों तक अधोसंरचना का विकास कर तथा बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाकर राज्य के विकास को गति दी। आज प्रदेश में चारों ओर सड़कों का जाल बिछा है। शिक्षण और स्वास्थ्य संस्थानों का एक सुदृढ़ नेटवर्क लोगों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है। प्रदेश के सभी गांवों में शुद्ध पेयजल और बिजली की सुविधा उपलब्ध है। अब यह प्रदेश ‘पावर सरप्लस’ राज्य बन गया है। यह तभी संभव हो पाया है जब प्रदेश के सशक्त एवं दूरदर्शी शीर्ष नेतृत्व ने उचित निर्णय लिए और अपने कठिन परिश्रम व कुशल नेतृत्व से प्रदेश को विकास की नई बुलंदियों पर पहुंचाया।  

हिमाचल प्रदेश में वर्ष 1948 में सात फीसदी साक्षरता दर थी जो कि आज 83 फीसदी तक पहुंच गई है। आज प्रदेश के पास तीन एयरपोर्ट हैं जिनकी संख्या 1948 में शून्य थी। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इस पहाड़ी प्रदेश ने अग्रणी मुकाम हासिल किया है। हिमाचल में अब एक एम्स, एक सेटेलाइट पीजीआई सहित छः मेडिकल कॉलेज हैं। पांच डेंटल कॉलेज, कई नर्सिंग और फार्मेसी कॉलेज हैं। शिक्षा के क्षेत्र में भी हिमाचल के पास एक ट्रिपल आई.टी., एक आई.आई.टी., तीन स्वायत्त इंजीनियरिंग संस्थान और दर्जनों इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। वर्ष 1948 में हिमाचल के लोगों की प्रति व्यक्ति आय 240 रुपये थी जो मौजूदा समय में 2,34,782 के समकक्ष पहुंच चुकी है। गरीबी पहाड़ों की नियति है। इस बात को गलत सिद्ध कर आज हिमाचल देश का एक अग्रणी राज्य बनकर उभरा है। इन सतहत्तर वर्षों के कार्यकाल में राज्य ने विकास के मामले में अलग पहचान बनाई है। आज हमारा यह सुंदर और खुशहाल प्रदेश, देश में सेब राज्य, ऊर्जा राज्य और गैर मौसमी सब्जी उत्पादन में अग्रणी राज्य बनकर उभरा है।  

प्रकृति ने भी राज्य को हरित आवरण से भरपूर सौंदर्य और स्वच्छ वातावरण प्रदान किया है। जिसके कारण यह प्रदेश आज विश्व पटल पर पर्यटन राज्य के रूप में विख्यात है। इसलिए हमें पर्यावरण संरक्षण और इसकी विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित व संरक्षित रखने की ओर विशेष ध्यान देना होगा। यह देव भूमि भी है लेकिन आज इस पावन धरा की युवा पीढ़ी को हमें नशे की बुराई से बचाना होगा। हिमाचल प्रदेश की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने नशे के कारोबार में संलिप्त पाए जाने वाले लोगों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाया है। नशे के मामलों की जांच-पड़ताल के लिए एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को मजबूत करने की बात भी की गई है। हमें जहर मुक्त खेती को छोड़कर प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ना होगा ताकि हम राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित होकर रचनात्मक योगदान प्रदान कर सकें। प्रदेश सरकार द्वारा कृषि विभाग के सभी सरकारी खेतों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा।  

त्याग और बलिदान के स्वरूप आजादी का जो उपहार हमें मिला है वह केवल भोग-विलास के लिए नहीं बल्कि हम अपने कर्त्तव्य का निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ करना होगा ताकि हमारा यह देश व प्रदेश निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होकर मजबूत बनकर अनवरत विकास यात्रा का सहभागी बनें। 

(यह लेख हिमाचल प्रदेश की स्थापना (15 अप्रैल, 1948) से लेकर अब तक की सतत विकास की कहानी को बयां करता है। इसमें सबसे पहले प्रदेश के निर्माताओं, विशेषकर प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार, को याद किया गया है, जिन्होंने प्रदेश के गठन और विकास की मजबूत नींव रखी।  

लेख में बताया गया है कि कैसे शून्य से शुरुआत करके हिमाचल ने 77 वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व प्रगति की है। इसमें सड़कों के जाल, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के सुदृढ़ नेटवर्क, पेयजल और बिजली की सर्व सुलभता, तथा प्रदेश के ‘पावर सरप्लस’ राज्य बनने का उल्लेख है। साक्षरता दर में भारी वृद्धि (7% से 83%), हवाई अड्डों की स्थापना, उच्च शिक्षा संस्थानों (एम्स, आईआईटी, मेडिकल कॉलेज) की स्थापना, और प्रति व्यक्ति आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी जैसे महत्वपूर्ण विकास के पड़ावों को उजागर किया गया है। आज हिमाचल को सेब राज्य, ऊर्जा राज्य और गैर-मौसमी सब्जी उत्पादन में अग्रणी माना जाता है।  

इसके साथ ही, संपादकीय वर्तमान चुनौतियों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। पर्यटन राज्य के रूप में ख्याति के बीच पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। युवा पीढ़ी को नशे की लत से बचाने और प्रदेश सरकार की इस दिशा में ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति का भी जिक्र है। रासायनिक खेती को त्यागकर प्राकृतिक खेती को अपनाने का आह्वान किया गया है, जिसमें सरकारी कृषि फार्मों को भी प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने की योजना है।  

अंत में, लेख यह संदेश देता है कि स्वतंत्रता का उपहार केवल भोग-विलास के लिए नहीं है, बल्कि यह नागरिकों पर अपने कर्तव्यों को निष्ठापूर्वक निभाने की जिम्मेदारी डालता है, ताकि प्रदेश और देश निरंतर प्रगति के मार्ग पर अग्रसर रहें।  

संक्षेप में, यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश की गौरवशाली विकास यात्रा का एक सिंहावलोकन प्रस्तुत करता है, जिसमें उपलब्धियों का उत्सव मनाने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों और जिम्मेदारियों के प्रति सचेत भी किया गया है। )

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Scroll to Top