1. प्राकृतिक आपदा एवं राहत कार्य (हिमाचल प्रदेश)

  • मंडी ज़िला: बादल फटने से भारी तबाही हुई।
    • इस अवधि में 123% अधिक वर्षा दर्ज की गई और 19 बादल फटने की घटनाएँ हुईं।
    • बाढ़ और भूस्खलन से जान-माल का काफी नुकसान हुआ।
    • मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने तत्काल ₹7 करोड़ की राहत की घोषणा की।
  • शिमला में भूस्खलन: NHPC की अवैज्ञानिक पहाड़ी कटाई से यह समस्या और बढ़ गई।
  • सरकारी राहत उपाय:
    • प्रभावितों को ₹10,000 प्रति माह किराया सहायता दी जा रही है।
    • सड़कों, बिजली और पानी की आपूर्ति को शीघ्र बहाल करने के निर्देश दिए गए हैं।

2. कृषि एवं डेयरी विकास

  • दुग्ध उत्पादन में वृद्धि: प्रतिदिन 2.32 लाख लीटर दूध की खरीद हो रही है।
    • समर्थन मूल्य: गाय का दूध – ₹51/लीटर; भैंस का दूध – ₹61/लीटर
  • “हिम गंगा योजना”: इस योजना के तहत 268 नई डेयरी सहकारिताएँ स्थापित की गई हैं।
  • ड्रैगन फ्रूट की खेती: रोशन लाल (74 वर्ष) ने 25 बीघा भूमि पर इसकी खेती से ₹4–5 लाख की सालाना आय अर्जित की।

3. स्वास्थ्य योजनाएँ एवं चिकित्सा शिक्षा

  • हिमकेयर योजना:
    • 5.80 लाख लाभार्थियों को ₹810 करोड़ की चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है।
    • हिमकेयर कार्ड अब साल में चार बार (मार्च, जून, सितंबर, दिसंबर) जारी किए जाएंगे।
  • मेडिकल टेक्नीशियन पाठ्यक्रम: युवाओं को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण देने के लिए सीटें बढ़ाई गई हैं।

4. पर्यावरण एवं वनीकरण

  • “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान”: वर्ष 2025 में 10 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है।
  • जयपुर (राजस्थान): इसने 1.46 लाख पेड़ लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
  • विश्व पर्यावरण दिवस (5 जून 2025): थीम थी “प्लास्टिक प्रदूषण को रोकना”

5. सामाजिक कल्याण योजनाएँ

  • सुख-आश्रय योजना:
    • अनाथ एवं असहाय बच्चों को ₹4,000 प्रति माह की सहायता दी जा रही है।
    • कांगड़ा ज़िले में 827 बच्चों को इसका लाभ मिला है।
  • जनसंख्या नियंत्रण प्रोत्साहन:
    • दो बच्चे होने पर: ₹1 लाख का प्रोत्साहन।
    • एक बच्चा होने पर: ₹2 लाख का प्रोत्साहन।

6. पर्यटन एवं धार्मिक आयोजन

  • अंतरराष्ट्रीय फूलों का मेला:
    • तिथि: 27 जुलाई – 3 अगस्त 2025
    • स्थान: शिमला, पोलो ग्राउंड
  • कामरुनाग मंदिर (मंडी):
    • स्थानीय लोककथा के अनुसार, देवी धूमावती ने भेड़ के रूप में अवतार लिया था।
    • कामरुनाग मेले में देवी और देवता का प्रतीकात्मक मिलन होता है।

7. प्रशासनिक सुधार एवं डिजिटल पहल

  • डिजिटल हिमाचल पहल: भूमि पंजीकरण, ई-स्टाम्प, और अन्य सेवाओं को ऑनलाइन किया गया है।
  • लिफ्ट सुरक्षा अधिनियम 2009: इसका सख्त अनुपालन सुनिश्चित किया जा रहा है।

8. सांस्कृतिक एवं पारंपरिक विरासत

  • कामरुनाग मेले की परंपरा:
    • मंडी ज़िले में तीन विशेष तिथियों पर इसका आयोजन होता है।
    • यह देवी धूमावती और भगवान कामरुनाग के प्रतीकात्मक मिलन का प्रतीक है।

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