📚 शिक्षा

  • हिमाचल ‘परख’ सर्वे में 21वें से 5वें स्थान पर पहुँचा।
  • अनाथ बच्चों के लिए सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों में प्रत्येक पाठ्यक्रम में 1 सीट आरक्षित।
  • करुणामूलक नियुक्ति की वार्षिक आय सीमा ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹3 लाख।
  • ‘मुख्यमंत्री कन्या सम्मान योजना’ के तहत लड़कियों को ₹1,500/माह सहायता।
  • 69 सरकारी योजनाएं DBT से जुड़ीं (ग्राम स्तर डिजिटल सेवा योजना)।

💰 सामाजिक कल्याण एवं प्रोत्साहन

  • अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन राशि ₹50,000 से बढ़ाकर ₹2 लाख।
  • “मुख्यमंत्री बाल बालिका सुरक्षा पेंशन योजना” के तहत दो बालिकाओं के परिवार को ₹31,000 सहायता।
  • देशी गोवंश संरक्षण हेतु ₹25,000 अनुदान व 50% सब्सिडी।
  • पोल्ट्री फार्म हेतु 30% अनुदान।
  • लकड़ी रहित चिताओं हेतु 100 इलेक्ट्रिक/एलपीजी आधारित श्मशान घाट विकसित करने की योजना।

🚜 कृषि एवं पशुपालन

  • डॉ. वाई.एस. परमार विद्यार्थी ऋण योजना: 1% ब्याज दर पर ₹20 लाख तक शिक्षा ऋण।
  • देसी गाय खरीद पर ₹25,000 अनुदान (प्राकृतिक खेती को बढ़ावा)।
  • अब तक 2.23 लाख किसानों ने प्राकृतिक खेती अपनाई।
  • ‘फिडर लेवल सटीक कृषि’ परियोजना शुरू।
  • ₹100 करोड़ से अधिक के कृषि अवसंरचना प्रोजेक्ट स्वीकृत।
  • चारा व पशुपालन हेतु ₹5,000 तक सब्सिडी।

⚡ ऊर्जा एवं अवसंरचना

  • मार्च 2026 तक हिमाचल को ‘हरित ऊर्जा प्रदेश’ बनाने का लक्ष्य।
  • राजीव गांधी स्वरोजगार स्टार्ट-अप योजना के तहत ई-टैक्सी खरीद पर ₹4.22 करोड़ से अधिक उपदान।
  • मंडी (जोगिन्द्र नगर) में 40 मेगावाट सोलर पार्क स्वीकृत।
  • हिमाचल में 27,436 मेगावाट जल विद्युत क्षमता, अब तक 11,500 मेगावाट दोहन।
  • नाहन, नालागढ़, मोहाल और रोहडू में नए दूध प्रसंस्करण संयंत्र स्वीकृत।
  • मिल्क फोर्टिफिकेशन हेतु ₹2/लीटर परिवहन सब्सिडी।
  • फतेहपुर में ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन का शुभारंभ।

🌳 पर्यावरण एवं अन्य विकास

  • वन महोत्सव में सामूहिक पौधारोपण हेतु सामुदायिक भूमि पर 5 हेक्टेयर प्रति समूह आवंटन योजना।
  • 1000 नई बसें HRTC में चरणबद्ध जोड़ी जाएंगी।
  • 69 नगरीय निकायों में कचरा प्रबंधन हेतु आधुनिक सुविधाएं।
  • 1,100+ नगर निगम फील्ड स्टाफ को डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम से जोड़ा गया।
  • ‘लिंगड़ी के अचार’ को GI टैग प्रक्रिया शुरू।

📜 ऐतिहासिक तथ्य

  • डॉ. यशवंत सिंह परमार का जन्म 4 अगस्त 1906 को सिरमौर के चव्हालग गाँव में हुआ।
  • उनकी पीएचडी का विषय था “Socio-Economic Background of Himachal Polyandry”।

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