गिरिराज साप्ताहिक (9-15 अप्रैल, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 9-15 अप्रैल, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों और योजनाओं का विस्तृत उल्लेख है।

संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण

ग्रामीण अर्थव्यवस्था देश के आर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाती है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार करने से ही गरीबी कम करने, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और सामाजिक न्याय हासिल करने में सहयोग मिलता है। हिमाचल प्रदेश की सरकार ने भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मुख्य स्तंभ किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसी कई योजनाएं आरम्भ की है जिससे युवाओं को गांव में ही स्वरोजगार के विकल्प मिल सके और ग्रामीण आर्थिकी को बल मिल सके। ऐसे किसानों, जिनकी जमीन नीलामी के कगार पर आ गई है, उनके लिए सरकार ने एग्रीकल्चर लोन इंटरेस्ट सबर्वेशन स्कीम शुरू करने की घोषणा की है। किसानों द्वारा लिए गए तीन लाख कृषि लोन को चुकाने के लिए वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के तहत ब्याज का 50 फीसदी सरकार वहन करेगी।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हुए राज्य में दूध की खरीद के समर्थन मूल्य 45 से बढ़ाकर 51 रुपये किया गया है जबकि भैंस के दूध का समर्थन मूल्य 55 से बढ़ाकर 61 रुपये प्रति लीटर किया गया है। इसके अतिरिक्त यदि कोई किसान या कोई सोसायटी दो किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित नोटिफाइड कलेक्शन सेंटर पर दूध लेकर जाते हैं तो उन्हें दो रुपये प्रति लीटर की दर से ट्रांसपोर्ट सब्सिडी भी दी जाएगी। इस प्रकार बेचे गए दूध में किसानों को आठ रुपये प्रति लीटर अतिरिक्त मिलेंगे। प्रदेश में डेयरी विकास के लिए कांगड़ा, मण्डी, शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों के लिए लगभग 10 करोड़ 73 लाख 27 हजार खर्च किए जाएंगे। परियोजना के तहत मुख्य गतिविधियों में मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट ढगवार, कांगड़ा में नई केन्द्रीय परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना और दूध खरीद इकाइयों का डिजिटलीकरण शामिल है।

हिमाचल प्रदेश की लगभग दो तिहाई जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि कार्य से जुड़ी है। एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाने का लक्ष्य रखा गया है और प्राकृतिक खेती करने वाले सभी किसानों को हिम परिवार रजिस्टर से जोड़ा जाएगा तथा सर्टिफिकेशन के लिए नए किसानों को सीवरा पोर्टल पर पंजीकृत किया जाएगा। प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का पर भारत में सबसे अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को प्रदान किया गया है। प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाए गए मक्का के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 से बढ़ाकर 40 तथा गेहूं को 40 से बढ़ाकर 60 रुपये किया गया है। इसके अतिरिक्त यदि कोई किसान दो किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित नोटिफाइड कलेक्शन सेंटर पर स्वयं लेकर आते हैं तो उन्हें दो रुपये प्रतिकिलो की दर से फ्रेट (परिवहन) सब्सिडी भी दी जाएगी।

प्रदेश के कृषि क्षेत्र में वर्षों से आलू एक महत्त्वपूर्ण फसल रही है। राज्य में कुल सब्जी उत्पादन में आलू का 20 प्रतिशत हिस्सा है। आलू की फसल को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ऊना जिला में लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से 500 किलो प्रति घंटा की क्षमता वाले पोटेटो प्रोसेसिंग प्लांट को स्थपित करने जा रही है। यह प्लांट प्रदेश में 3400 हेक्टेयर में उगने वाली आलू की रबी व खरीफ मौसमों की फसलों के लगभग 54 हजार 200 मीट्रिक टन आलू उत्पादन करने वाले किसानों को सहायता प्रदान करने में सहायक होगा।

भारत विश्व में 78 प्रतिशत हल्दी उत्पादन करने वाला सबसे बड़ा देश है। भारत में पैदा होने वाली हल्दी अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए प्रदेश के पास प्राकृतिक हल्दी के उत्पादन का एक सुनहरा अवसर है। प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई गई कच्ची हल्दी के लिए आगामी वित्त वर्ष में न्यूनतम समर्थन मूल्य को 90 रुपये प्रति किलो करने की घोषणा की है। जिला हमीरपुर में स्पाईस पार्क का निर्माण किया जाएगा। इससे प्रदेश में उगाए जा रहे मसालों की वेल्यू एडिशन होगी व बाजार में एक नई पहचान मिलेगी। प्रदेश सरकार किसानों के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध है। और हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण संवर्धन परियोजना इसी दिशा में एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है। सरकार द्वारा इस परियोजना पर 154 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।

प्रदेश सरकार द्वारा कृषि विभाग के सभी सरकारी खेतों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा और किसानों को इसके तहत अधिक से अधिक लाभ प्रदान किया जाएगा। जैसे कि 15-20 प्रतिशत हिस्से में पारम्परिक फसलों हल्दी, अदरक, अरबी, कटहल, रतालू आदि की खेती की जाएगी और विभिन्न प्रकार की फसलों हेतु पांच नए मॉडल फार्म विकसित किए जाएंगे। मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना को आगे बढ़ाते हुए अब किसानों को जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा हेतु सोलर फेंसिंग जालीदार और कांटेदार बाड़बंदी में सहायता प्रदान की जाएगी। कृषि यन्त्रीकरण पर सहायता प्रदान करने के लिए लगभग 10 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे।


संपादकीय का विवरण (Description):

यह संपादकीय “ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण” हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से किसानों की स्थिति को मजबूत करने के लिए उठाए जा रहे विभिन्न कदमों और योजनाओं पर केंद्रित है।

मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:

  1. किसानों को ऋण राहत:
    • “एग्रीकल्चर लोन इंटरेस्ट सबर्वेशन स्कीम” की घोषणा की गई है, जिसके तहत नीलामी के कगार पर पहुंची भूमि वाले किसानों के 3 लाख रुपये तक के कृषि ऋण पर ब्याज का 50% सरकार वहन करेगी (वन टाइम सेटलमेंट पॉलिसी के तहत)।  
  2. डेयरी क्षेत्र को प्रोत्साहन:
    • गाय के दूध का समर्थन मूल्य ₹45 से बढ़ाकर ₹51 प्रति लीटर और भैंस के दूध का ₹55 से बढ़ाकर ₹61 प्रति लीटर किया गया है।  
    • नोटिफाइड कलेक्शन सेंटर तक दूध पहुंचाने के लिए ₹2 प्रति लीटर की परिवहन सब्सिडी (यदि दूरी 2 किमी से अधिक हो) प्रदान की जाएगी।  
    • कांगड़ा, मंडी, शिमला, सिरमौर और सोलन जिलों में डेयरी विकास पर लगभग ₹10.73 करोड़ खर्च किए जाएंगे, जिसमें मिल्क प्रोसेसिंग प्लांट (ढगवार, कांगड़ा), केंद्रीय परीक्षण प्रयोगशाला और दूध खरीद इकाइयों का डिजिटलीकरण शामिल है।  
  3. प्राकृतिक खेती पर जोर:
    • एक लाख नए किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य है।  
    • प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों को हिम परिवार रजिस्टर से जोड़ा जाएगा और सर्टिफिकेशन के लिए सीवरा पोर्टल पर पंजीकरण होगा।  
    • प्राकृतिक मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹30 से बढ़ाकर ₹40 प्रति किलो और गेहूं का ₹40 से बढ़ाकर ₹60 प्रति किलो किया गया है (यह भारत में मक्का का सर्वाधिक MSP बताया गया है)।  
    • किसानों को कलेक्शन सेंटर तक उपज पहुंचाने के लिए ₹2 प्रति किलो की परिवहन सब्सिडी भी दी जाएगी। 
    • सभी सरकारी कृषि फार्मों को प्राकृतिक खेती के अंतर्गत लाया जाएगा, और 15-20% हिस्से में पारंपरिक फसलें (हल्दी, अदरक, अरबी आदि) उगाई जाएंगी तथा पांच नए मॉडल फार्म विकसित किए जाएंगे।  
  4. फसल विविधीकरण और प्रसंस्करण:
    • ऊना जिले में लगभग ₹20 करोड़ की लागत से 500 किलो प्रति घंटा क्षमता वाला पोटेटो प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा।  
    • प्राकृतिक कच्ची हल्दी के लिए आगामी वित्त वर्ष से न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹90 प्रति किलो करने की घोषणा की गई है।  
    • जिला हमीरपुर में स्पाइस पार्क का निर्माण किया जाएगा, जिससे मसालों की वैल्यू एडिशन और बाजार में पहचान बनेगी।  
    • “हिमाचल प्रदेश फसल विविधीकरण संवर्धन परियोजना” पर ₹154 करोड़ व्यय किए जाएंगे।  
  1. खेत संरक्षण और कृषि यंत्रीकरण:
    • “मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना” के तहत जंगली जानवरों से फसलों की रक्षा के लिए सोलर फेंसिंग, जालीदार और कांटेदार बाड़बंदी में सहायता प्रदान की जाएगी।  
    • कृषि यंत्रीकरण पर सहायता के लिए लगभग ₹10 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। 

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