गिरिराज साप्ताहिक (08-14 जनवरी, 2025) का संपादकीय
प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 08-14 जनवरी, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “विद्वता और विनम्रता के प्रतीक डॉ. मनमोहन सिंह”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भारत के एक पूर्व प्रधानमंत्री के कार्यकाल, उनकी आर्थिक नीतियों और हिमाचल प्रदेश के विकास में उनके योगदान पर प्रकाश डालता है।
संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):
विद्वता और विनम्रता के प्रतीक डॉ. मनमोहन सिंह
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र भारत के महान अर्थशास्त्री, शांत और संयमित व्यक्तित्व के धनी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह को देश-दुनिया में सदैव ही उनकी आर्थिक विद्धता तथा सुधारों के लिए सम्मान के साथ याद किया जाएगा। अपनी योग्यता, विनम्रता और सेवा भावना से उन्होंने भारत की दशा और दिशा को नए आयाम देकर देश-दुनिया में एक अलग पहचान दिलवाई। उनका व्यक्तित्व और कार्यशैली राजनीति के उस आदर्श का प्रतिनिधित्व करती है जो पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक रहेगी। वे भारतीय राजनीति में एक सौम्य बुद्धिजीवी और विनम्रता के प्रतीक थे। उन्होंने भारत की आकांक्षाओं को मूर्तरूप दिया और अटूट समर्पण के साथ आगे बढ़े। आर्थिक उदारीकरण और अधिकार आधारित उनकी नीतियों ने करोड़ों भारतीय नागरिकों के जीवन को गरीबी से बाहर निकाला जिसके लिए निश्चित तौर पर इतिहास दयालुता के साथ उनका मूल्यांकन करेगा। उनकी शोध नीतियां आज भी अर्थशास्त्र के विद्यार्थियों और नीति-निर्माताओं के लिए मार्गदर्शक हैं।
उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वर्ष 2004 से 2014 तक देश का नेतृत्व किया। उनके प्रधानमंत्रित्व के कार्यकाल में अभूतपूर्व आर्थिक विकास हुआ और भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित किया। उनके कार्यकाल में देश ने लगभग आठ प्रतिशत से अधिक की औसतन आर्थिक वृद्धि दर हासिल की जो वैश्विक स्तर पर एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उनकी सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों को मुख्यधारा में लाने का कार्य किया। समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कई योजनाएं आरंभ कीं, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और सूचना का अधिकार अधिनियम, खाद्य सुरक्षा जैसे अधिकार उनके दूरदर्शी दृष्टिकोण का उदाहरण है। वे इस बात से भली-भांति परिचित थे कि केवल आर्थिक प्रगति ही पर्याप्त नहीं है। उनकी यह सोच मानवतावादी दृष्टिकोण के साथ यह भी दिखाती है कि वे सामाजिक न्याय के प्रति कितने संवेदनशील थे। डॉ. मनमोहन सिंह की ये नीतिगत प्राथमिकताएं राजनीति और सत्ता सुख से ऊपर रही। समाज और देश सेवा उनका धर्म था। उनके व्यक्तित्व ने यह साबित कर दिया कि राजनीति देश व समाज के कल्याण के लिए है।
उन्होंने देश में आर्थिक उदारीकरण की शुरूआत की और अर्थव्यवस्था को दुनिया के लिए खोला। वर्ष 1991 से 1996 के बीच उन्होंने आर्थिक सुधारों की जो रूपरेखा, नीति तैयार की उसकी दुनियाभर में प्रशंसा की जाती है। लाइसेंसराज खत्म किया, घाटे में चलने वाली सरकारी कंपनियों के लिए अलग सेस नीतियां बनाकर ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों को लागू करने और विभिन्न सामाजिक सुरक्षा वाली योजनाओं की अगुवाई करके ऐसे सुधार कार्यक्रम लागू किए जिसने देश की डूबती अर्थव्यवस्था ने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश की विकास आवश्यकताओं के प्रति भी चिंतित थे। यहां की समस्याओं और वित्तीय संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए हिमाचल को 4000 करोड़ की आर्थिक मदद को कभी भूला नहीं जा सकता है। हिमाचल के विकास के लिए उनके उदार विशेष अनुदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। 28 मई 2005 को जिला शिमला के झाकड़ी में 1500 मेगावॉट क्षमता की नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना जो कि एशिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना है, राष्ट्र को समर्पित की। इस पहाड़ी प्रदेश में रेलवे विस्तारीकरण की बात हो या एयरपोर्ट और पर्यटन परियोजनाओं की, उन्होंने उदार हृदय से हिमाचल को सहयोग दिया। पर्यटन क्षेत्र को विकसित करने के लिए हरसंभव सहायता की। जल विद्युत से प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए नेशनल हाईड्रोपावर कॉरपोरेशन के प्रोजेक्टों में प्रदेश को 30 प्रतिशत हिस्सेदारी देने का ऐलान किया। राज्य के तीन विश्वविद्यालय के आधारभूत संरचना में विस्तार के लिए केन्द्र की ओर से 20 करोड़ दिए। हिमाचल को घाटे से उबारने के लिए विशेष समायोजन सुविधा ऋण दिया व प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों में सिंचाई सुविधा में मदद की। किन्नौर व लाहौल-स्पीति में दूरदर्शन व 40 अन्य चैनलों का प्रसारण निःशुल्क उपलब्ध करवाने के लिए केन्द्र की ओर से 20 हजार डीटीएच बॉक्स सेट दिए और आगे भी जरूरतों के हिसाब से सहायता करते रहे। हिमाचल से विशेष लगाव के चलते ही डॉ. मनमोहन सिंह ने यूपीए-2 में आनंद शर्मा और हिमाचल के विकास का मसीहा रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को केन्द्रीय मंत्री बनाया।
संपादकीय का विवरण (Description):
यह संपादकीय, “विद्वता और विनम्रता के प्रतीक डॉ. मनमोहन सिंह”, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय डॉ. मनमोहन सिंह के व्यक्तित्व, उनके आर्थिक सुधारों और देश के विकास में उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करता है। लेख में उनके कार्यकाल की प्रमुख उपलब्धियों और हिमाचल प्रदेश के प्रति उनकी विशेष उदारता का उल्लेख किया गया है।
मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:
- व्यक्तित्व और राजनीतिक आदर्श:
- डॉ. मनमोहन सिंह को एक महान अर्थशास्त्री, शांत, संयमित, सौम्य बुद्धिजीवी और विनम्रता का प्रतीक बताया गया है।
- उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली को विश्व राजनीति के लिए प्रेरणादायक आदर्श माना गया है, जो सेवा भावना और देश कल्याण को प्राथमिकता देते थे।
- आर्थिक सुधार और विकास:
- 1991 के आर्थिक सुधार: वित्त मंत्री के रूप में उनके द्वारा आरंभ किए गए आर्थिक उदारीकरण और लाइसेंस राज की समाप्ति जैसे सुधारों ने भारत की डूबती अर्थव्यवस्था को बचाया और एक नई दिशा दी।
- प्रधानमंत्री कार्यकाल (2004-2014): इस दौरान भारत ने लगभग 8% से अधिक की औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल की।
- अधिकार आधारित नीतियां: उनके कार्यकाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा), शिक्षा का अधिकार अधिनियम, सूचना का अधिकार अधिनियम और खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे महत्वपूर्ण कानून लाए गए, जिनसे करोड़ों भारतीय गरीबी से बाहर निकले।
- हिमाचल प्रदेश के विकास में योगदान:
- डॉ. मनमोहन सिंह हिमाचल प्रदेश की विकास आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील थे।
- उन्होंने प्रदेश को ₹4000 करोड़ की विशेष आर्थिक मदद प्रदान की।
- नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना (1500 मेगावाट): 28 मई, 2005 को इसे राष्ट्र को समर्पित किया, जो एशिया की सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजनाओं में से एक है।
- अन्य परियोजनाएं एवं सहायता: रेलवे विस्तारीकरण, एयरपोर्ट और पर्यटन परियोजनाओं में सहयोग। एनएचपीसी के प्रोजेक्टों में प्रदेश को 30% हिस्सेदारी। तीन विश्वविद्यालयों के ढांचागत विकास के लिए ₹20 करोड़। किन्नौर व लाहौल-स्पीति में निःशुल्क डीटीएच बॉक्स।
- उनके कार्यकाल में हिमाचल से आनंद शर्मा और वीरभद्र सिंह को केन्द्रीय मंत्री बनाया गया।
प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:
यह संपादकीय भारत के आर्थिक इतिहास, विशेषकर 1991 के सुधारों और उसके बाद की विकास यात्रा को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में लागू की गई प्रमुख योजनाएं और अधिनियम (मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा) अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। हिमाचल प्रदेश के संदर्भ में, उनके द्वारा राज्य को दी गई वित्तीय सहायता और स्वीकृत प्रमुख परियोजनाएं (नाथपा झाकड़ी, शिक्षण संस्थान आदि) हिमाचल प्रदेश के सामान्य ज्ञान के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। यह लेख एक प्रमुख राष्ट्रीय व्यक्तित्व और उनके नीतिगत निर्णयों के प्रभावों का एक महत्वपूर्ण विश्लेषण प्रस्तुत करता है।