गिरिराज साप्ताहिक (02-08 अप्रैल, 2025) का संपादकीय

प्रस्तुत है गिरिराज साप्ताहिक के 02-08 अप्रैल, 2025 अंक में प्रकाशित संपादकीय लेख “संवेदनशील सरकार”। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की कर्मचारी कल्याण, सामाजिक न्याय और प्रशासनिक सुधारों से संबंधित नीतियों और निर्णयों पर प्रकाश डाला गया है।

संपादकीय (जैसा पत्रिका में है):

संवेदनशील सरकार

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के गतिशील नेतृत्व में वर्तमान राज्य सरकार समाज के सभी वर्गों के सामाजिक व आर्थिक कल्याण तथा सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास के प्रति वचनबद्ध है। विगत दो वर्षों का कार्यकाल सभी को सामाजिक न्याय तथा हिमाचल प्रदेश को देश का एक अग्रणी राज्य बनाने के लिए समर्पित रहा है क्योंकि वर्तमान सरकार का मानना है कि कर्मचारी किसी भी सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों को धरातल पर उतारने तथा जनकल्याण के लिए लागू की जाने वाली योजना को अमलीजामा पहनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अतः राज्य सरकार ने हमेशा ही कर्मचारियों के हितों तथा उनके कल्याण को विशेष प्राथमिकता दी है।

कठिन वित्तीय स्थिति के बावजूद राज्य सरकार ने प्रदेश के कर्मचारियों की बकाया देनदारियों को चुकाने की एक सार्थक पहल की है। प्रदेश की पूर्व सरकार द्वारा कर्मचारियों के वेतन एरियर और पेंशन आदि के लगभग 10 हजार करोड़ रुपये देना बकाया था। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने वर्ष 2025-26 के बजट में न केवल 70 से 75 वर्ष की आयु वाले पेंशनरों के बकाया एरियर का भुगतान इसी वित्त वर्ष में करने की घोषणा की, अपितु अन्य कर्मचारियों को भी उनके बकाया एरियर का चरणबद्ध रूप से भुगतान करने का निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लगभग एक लाख 75 हजार कर्मचारी लाभान्वित होंगे तथा राज्य सरकार वेतन एवं एरियर के भुगतान पर इसी वित्तीय वर्ष में कुल 425 करोड रुपये खर्च करेगी। सरकार द्वारा कर्मचारियों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ते की किश्त देने का भी निर्णय लिया गया है। कठिन वित्तीय स्थिति व सीमित संसाधनों के बावजूद सरकार ने अनेक जनहितैषी निर्णय लिए हैं। दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी 400 से बढ़ाकर 425 रुपये की भी घोषणा की है जो निःसंदेह एक स्वागत योग्य निर्णय है। यही नहीं प्रदेश सरकार ने आउटसोर्स कर्मियों को भी अब न्यूनतम 12,750 रुपये वेतन देने का निर्णय लेकर समाज के सभी वर्गों के कल्याण के प्रति संवेदनशील होने का परिचय दिया है। सरकार यह भी सुनिश्चित बनाएगी कि इन कर्मचारियों का किसी भी तरह से शोषण न हो तथा उन्हें निर्धारित मानदेय नियमित रूप से मिलता रहे। इससे इन कर्मचारियों को सम्मानजनक सेवा करने का एक बेहतर अवसर मिलेगा। राज्य सरकार ने अब यह भी निर्णय लिया है कि आउटसोर्स कर्मचारियों को पक्की नौकरी देने के लिए भी राज्य सरकार शीघ्र एक नीति बनाएगी। यह भी एक स्वागत योग्य फैसला है जो आउटसोर्स कर्मचारी को न केवल एक बेहतर रोजगार प्रदान करेगा अपितु सेवा में अनिश्चितता को भी समाप्त करेगा।

कई बार सरकारी सेवा में रहे सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु होने से प्रभावित परिवारों पर मुसीबतों का पहाड़ गिर जाता है। परिवार के कमाने वाले सदस्य न रहने से परिवार को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रभावित परिवारों की समस्या को समझते हुए परिवार के आश्रितों को करुणामूलक आधार पर रोजगार दिया जाता है। यह एक सामाजिक उत्तरदायित्व है जिसमें सेवाकाल के दौरान मृत्यु होने पर प्रभावित परिवार के सदस्य को रोजगार प्रदान कर उन्हें विपदा की घड़ी में आर्थिक सुरक्षा प्रदान की जाती है। इससे न केवल प्रभावित परिवार को आर्थिक संबल मिलता है बल्कि यह सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता को भी बढ़ावा देता है। परंतु प्रायः यह देखा गया है कि जटिल शासकीय प्रक्रिया के कारण प्रभावित परिवार के सदस्य को करूणामूलक रोजगार मिलने में कई बार वर्षों का समय लग जाता है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने इसी जटिलता को ध्यान में रखते हुए अब निर्णय लिया है कि राज्य सरकार करुणामूलक आधार पर रोजगार प्रदान करने के लिए शीघ्र ही एक वृहद करूणामूलक नीति बनाएगी ताकि प्रभावित परिवारों को शीघ्रातिशीघ्र रोजगार प्रदान कर आपदा की घड़ी में उन्हें अविलंब रोजगार दिया जा सके। राज्य सरकार ने अब निर्णय लिया है कि एक माह के भीतर एक कारगर नीति बनाई जाएगी इस नीति को तैयार करते समय यह सुनिश्चित बनाया जाएगा की सेवाकाल के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर प्रभावित व्यक्ति की पत्नी को करूणामूलक रोजगार प्रदान करने में प्राथमिकता दी जाए। राज्य सरकार के इस निर्णय से वर्षों से करुणामूलक आधार पर रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हजारों परिवारों को लाभ पहुंचेगा जिससे जहां एक ओर इन परिवारों को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी वहीं दूसरी ओर इन परिवारों के बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित होगा। यह सब मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की संवेदनशील सोच का ही परिणाम है और यही तो व्यवस्था परिवर्तन है।


संपादकीय का विवरण (Description):

यह संपादकीय “संवेदनशील सरकार” हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली वर्तमान राज्य सरकार की सामाजिक और आर्थिक कल्याण, विशेषकर कर्मचारी हितों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। लेख में सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न जनहितैषी कदमों का उल्लेख किया गया है, जो वित्तीय चुनौतियों के बावजूद लागू किए गए हैं।

मुख्य विषय और चर्चा के बिंदु:

  1. कर्मचारी कल्याण को प्राथमिकता:
    • सरकार कर्मचारियों को प्रशासन का महत्वपूर्ण अंग मानती है और उनके कल्याण को विशेष प्राथमिकता देती है।
    • पिछली सरकार द्वारा छोड़ी गई लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की बकाया देनदारियों (वेतन एरियर, पेंशन आदि) को चुकाने की पहल की गई है।
    • वर्ष 2025-26 के बजट में 70-75 आयु वर्ग के पेंशनरों के बकाया एरियर का भुगतान इसी वित्त वर्ष में करने और अन्य कर्मचारियों को भी चरणबद्ध तरीके से भुगतान करने का निर्णय लिया गया है, जिससे लगभग 1.75 लाख कर्मचारी लाभान्वित होंगे और इस पर ₹425 करोड़ खर्च होंगे।
    • कर्मचारियों को तीन प्रतिशत महंगाई भत्ते की किश्त देने का भी निर्णय लिया गया है।
  2. श्रमिकों और आउटसोर्स कर्मियों के लिए कदम:
    • दिहाड़ीदारों की दिहाड़ी ₹400 से बढ़ाकर ₹425 कर दी गई है।
    • आउटसोर्स कर्मियों के लिए न्यूनतम वेतन ₹12,750 निर्धारित किया गया है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनका शोषण न हो तथा उन्हें नियमित मानदेय मिले।
    • आउटसोर्स कर्मचारियों को स्थायी नौकरी प्रदान करने के लिए शीघ्र ही एक नीति बनाने का निर्णय लिया गया है, जिससे सेवा में अनिश्चितता समाप्त होगी।
  3. करुणामूलक रोजगार नीति में सुधार:
    • सरकारी कर्मचारियों की सेवाकाल में मृत्यु होने पर आश्रितों को करुणामूलक आधार पर रोजगार देने की प्रक्रिया की जटिलताओं को स्वीकार किया गया है, जिससे रोजगार मिलने में वर्षों लग जाते थे।
    • मुख्यमंत्री ने इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक माह के भीतर एक व्यापक करुणामूलक नीति बनाने का निर्णय लिया है।
    • इस नई नीति में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कर्मचारी की मृत्यु होने पर प्रभावित व्यक्ति की पत्नी को करुणामूलक रोजगार में प्राथमिकता दी जाए।
    • इस कदम से हजारों प्रतीक्षारत परिवारों को आर्थिक सुरक्षा और उनके बच्चों को सुरक्षित भविष्य मिलेगा।
  4. संवेदनशील शासन और व्यवस्था परिवर्तन:
    • इन सभी निर्णयों को मुख्यमंत्री की संवेदनशील सोच और “व्यवस्था परिवर्तन” के ध्येय का परिणाम बताया गया है।

प्रतियोगी परीक्षा की दृष्टि से महत्व:

यह संपादकीय हिमाचल प्रदेश की वर्तमान सरकार की प्रमुख नीतियों, विशेषकर कर्मचारी और श्रमिक कल्याण, सामाजिक सुरक्षा, और प्रशासनिक सुधारों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। इसमें उल्लिखित योजनाएं, वित्तीय आवंटन, और नीतिगत निर्णय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। करुणामूलक रोजगार नीति में प्रस्तावित बदलाव, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति, और कर्मचारियों के वित्तीय लाभ से जुड़े तथ्य हिमाचल प्रदेश की समसामयिक घटनाओं और सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को समझने में सहायक हैं। “व्यवस्था परिवर्तन” की अवधारणा और उसके तहत उठाए जा रहे कदमों पर भी प्रश्न बन सकते हैं।

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